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जलवायु परिवर्तन ने चावल को बना दिया खतरनाक, धान में ही मिल जाता है कैंसर वाला तत्व

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विश्व में 54 करोड़ मीट्रिक टन चावल का उत्पादन किया जाता है. इनमें सबसे ज्यादा 27 प्रतिशत चावल सिर्फ भारत में उपजाया जाता है. इस तरह लगभग पूरी दुनिया में चावल किसी न किसी रूप में मुख्य भोजन है. लेकिन वैज्ञानिकों ने चौंकाने वाला खुलासा करते हुए बताया है कि जलवायु परिवर्तन के कारण इस चावल में आर्सेनिक लेवल बढ़ता जा रहा है जो कैंसर की प्रमुख वजहों में से एक है. मतलब कि चावल में कैंसर फैलाने वाले तत्वों की मात्रा बढ़ती जा रही है. यही कारण है कि 2050 तक दुनिया का हर पांचवां अपने जीवन काल के किसी भी पड़ाव पर कैंसर का शिकार अवश्य होंगे. यह अध्ययन लेंसेट प्लेनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

धान के पौधे में आर्सेनिक अवशोषित करने की क्षमता बढ़ेगी
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अध्ययन में पाया गया कि वैश्विक तापमान में 2 डिग्री की वृद्धि से कार्बनडायऑक्साइड का लेवल बढ़ जाएगा जिस वजह से मिट्टी की पूरी संरचना बदल जाएगी. इस परिवर्तन की वजह से धान के पौधे में आर्सेनिक का स्तर बहुत बढ़ जाएगा जिससे इसमें कई तरह के टॉक्सिन लेवल की मात्रा भी बढ़ेगी. यूनिवर्सिटी में इनवायरॉनमेंटल हेल्थ लाइंस के एसोसिएट प्रोफेसर लिविस जिस्का ने बताया कि एशिया खासकर दक्षिणपूर्व एशिया में आर्सेनिक पहले से ही चावल उगाने वाले क्षेत्रों में एक ज्ञात प्रदूषक है. जलवायु परिवर्तन में वृद्धि होने के साथ ही चावल के पौधों में अधिक आर्सेनिक अवशोषित करने की क्षमता बढ़ जाएगी जिससे हेल्थ पर कई तरह के खतरे सामने आएंगे.