रायबरेली लोकसभा सीट से सांसद और निचले सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आज चुनाव आयोग पर एक साथ कई इल्जाम लगा दिए. इन सभी आरोपों के केंद्र में चुनाव आयोग है. उन्होंने चुनाव आयोग की मदद से लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी द्वारा धांधली करने का आरोप लगाया है.
राहुल गांधी ने कर्नाटक की महादेवपुरा सीट का आंकड़ा देकर ये समझाने का प्रयास किया कि किस तरह वोटर लिस्ट में हेरफेर कर चुनाव नतीजों को प्रभावित किया जा रहा है.
सूत्रों के हवाले से ये जानकारी सामने आई है कि राहुल गांधी के आरोप पर चुनाव आयोग गौर कर रहा है. आयोग उनके आरोपों की समीक्षा कर उचित जवाब देगा. सूत्रों की मानें तो आयोग का मानना है कि राहुल के दावे को देखा जाए तो SIR बहुत जरूरी है, क्योंकि ये लंबे समय से नहीं हुआ है. जानकारी के मुताबिक, कर्नाटक के मुख्य चुनाव अधिकारी ने राहुल गांधी को पत्र भेजा है. ये पत्र सीईओ कर्नाटक के साथ मीटिंग और राहुल गांधी की आज की प्रेसवार्ता को लेकर है.
चुनाव आयोग ने और क्या कहा पत्र में कहा गया है कि कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मिलने और ज्ञापन सौंपने के लिए समय मांगा गया था. 8 अगस्त 2025 को दोपहर 1 बजे से 3 बजे के बीच का समय निश्चित किया गया है. इसमें ये भी कहा गया है कि मतदाता सूचियाँ पारदर्शी तरीके से तैयार की जाती हैं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 और भारत के चुनाव आयोग द्वारा समय-समय पर जारी निर्देशों के मुताबिक इसे तैयार किया जाता है.
चुनाव आयोग का कहना है कि नवीनतम मतदाता सूचियाँ कांग्रेस के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर तैयार की जाती हैं. चुनाव आयोग की ये टिप्पणी के बाद राहुल गांधी ने इस पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. राहुल ने कहा है कि मैं ये सब पब्लिकली कह रहा हूं और ये डेटा हमारा नहीं चुनाव आयोग का है. उन्होंने ये नहीं कहा कि ये वोटर लिस्ट गलत है.राहुल गांधी ने कहा है कि अगर चुनाव आयोग डिजिटल डेटा नहीं देता है, इलेक्ट्रॉनिक वोटर लिस्ट नहीं देता है, सीसीटीवी नहीं देता है तो वो क्राइम में हिस्सेदार हैं.
राहुल की आई बेजोड़ प्रतिक्रिया राहुल ने आगे कहा कि ज्यूडिशरी को इसमें इनवॉल्व होना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र नहीं बचा है. राहुल की प्रतिक्रिया के बाद चुनाव आयोग के सूत्र बता रहे हैं किराहुल गांधी को आज ही इस शपथ पर हस्ताक्षर करने चाहिए और इसे अपने ट्रविटर हैंडल से ट्वीट भी करना चाहिए. अगर ऐसा नहीं है, तो उन्हें अपने गढ़े हुए सबूत वापस ले लेने चाहिए. अब देखना ये है कि यहां से आगे चुनाव आयोग क्या करता है.