Home देश इनकम टैक्स बिल: सेलेक्ट कमेटी क्या होती है? इसने क्या-क्या सुझाव दिए,...

इनकम टैक्स बिल: सेलेक्ट कमेटी क्या होती है? इसने क्या-क्या सुझाव दिए, जिसे सीतारमण ने झट से मान लिया

12
0

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल- 2025 पेश किया. संसद में विपक्ष के हंगामे के बीच यह कदम उठाया गया, लेकिन इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है. इस नए बिल में संसदीय चयन समिति (Select Committee) की 285 सिफारिशों को शामिल किया गया है. यह बिल पुराने आयकर अधिनियम-1961 की जगह लेगा और दशकों पुराने टैक्स ढांचे को सरल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है.
निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स बिल पेश करते गहुए बताया कि भ्रम से बचने के लिए पहले वाले बिल को वापस ले लिया गया था. वहीं नए बिल में बीजेपी नेता बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय सेलेक्ट समिति की तरफ से सुझाई गई अधिकांश सिफारिशों को शामिल किया गया है. सीतारमणने कहा कि कई सुझाव प्राप्त हुए हैं, जिन्हें सही विधायी अर्थ प्रदान करने के लिए शामिल किया जाना आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘ड्राफ्टिंग के नेचर, वाक्यांशों के अलाइनमेंट, परिणामी परिवर्तनों और क्रॉस रेफरेंसिंग में सुधार किए गए हैं.’

सेलेक्ट कमेटी क्या होती है?
संसद में जब कोई विधेयक (Bill) पेश किया जाता है, तो अक्सर उसे सीधे बहस और मतदान के लिए लाने के बजाय विस्तृत अध्ययन और सुधार के लिए किसी समिति को भेजा जाता है. सेलेक्ट कमेटी इसी प्रक्रिया का हिस्सा है. यह समिति विशेष रूप से किसी एक विधेयक पर फोकस करती है. इसमें संसद के चुनिंदा सदस्य शामिल होते हैं, जो विभिन्न दलों और पृष्ठभूमियों से आते हैं, ताकि विधेयक पर संतुलित विचार हो.

समिति का काम बिल का बारीकी से अध्ययन करना, तकनीकी और कानूनी कमियों को पहचानना और सुधार के सुझाव देना होता है. यह समिति विशेषज्ञों, हितधारकों और सरकारी अधिकारियों से बातचीत कर फीडबैक लेती है और फिर अपनी रिपोर्ट संसद को सौंपती है. सरकार चाहे तो इन सिफारिशों को पूरी तरह, आंशिक रूप से या बिल्कुल भी शामिल न करने का निर्णय ले सकती है, लेकिन आमतौर पर तकनीकी और व्यावहारिक सुझावों को शामिल करने की कोशिश की जाती है.
सेलेक्ट कमेटी का गठन कैसे होता है?
किसी विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव संसद में पेश किया जाता है. प्रस्ताव पारित होने पर समिति गठित की जाती है. इसमें शामिल सांसदों के नाम तय किए जाते हैं और एक अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है. समिति के पास विधेयक की समीक्षा के लिए निश्चित समय होता है, जिसके भीतर वह अपनी रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करती है.
सेलेक्ट कमेटी की क्या थी सिफारिशें?
इनकम टैक्स बिल, 2025 को सबसे पहले 13 फरवरी 2025 को लोकसभा में पेश किया गया था. बाद में सरकार ने इसे औपचारिक रूप से वापस लेकर संशोधित बिल पेश करने का फैसला किया. इस बिल की समीक्षा भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली संसदीय चयन समिति ने की.
बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली इस समिति ने इनकम टैक्स बिल के ड्राफ्ट में कई तकनीकी खामियां और भाषा संबंधी अस्पष्टताएं चिन्हित की थीं. समिति ने पाया कि मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट, 1961 में 4,000 से ज्यादा संशोधन हो चुके हैं और इसमें पांच लाख से अधिक शब्द हैं, जिससे यह बिल बेहद ही ज्यादा जटिल हो गया है. नया बिल इस जटिलता को लगभग 50% तक कम करता है ताकि आम करदाता भी इसे आसानी से समझ सके. समिति ने यह भी कहा कि नया स्ट्रक्चर कानूनी उलझनों को कम करेगा और व्यक्तिगत करदाताओं एवं छोटे-मझोले उद्यमों (MSME) को अनावश्यक मुकदमेबाजी से बचाएगा.

इस नए संशोधित बिल में टैक्स स्लैब और दरों में भी बड़े बदलाव किए गए हैं. सरकार के अनुसार, यह बदलाव मध्यम वर्ग के टैक्स बोझ को घटाएंगे और लोगों के हाथों में अधिक पैसा छोड़ेंगे, जिससे घरेलू खपत, बचत और निवेश में वृद्धि होगी. यह कदम न केवल करदाताओं के लिए राहत लाएगा, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी गति देगा.
ध्यान दिला दें कि पिछले सप्ताह सरकार ने औपचारिक रूप से पुराना इनकम टैक्स बिल, 2025 वापस ले लिया था, जिसे 13 फरवरी को लोकसभा में पेश किया गया था. अब संशोधित रूप में यह बिल एक समग्र और सरल कर कानून का खाका पेश करता है, जो दशकों से लागू जटिल आयकर संरचना को बदलने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here