“मुख्य चुनाव आयुक्त का कौन करता है चयन? कितनी मिलती है सैलरी और सुविधाएं”
भारत में चुनाव आयोग लोकतंत्र की रीढ़ माना जाता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जिम्मेदार होता है। लेकिन विपक्षी पार्टियां चुनाव आयोग की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को लेकर एक बार फिर सवाल उठाया है।
कांग्रेस पार्टी समेत अन्य विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है। हालांकि 17 अगस्त को चुनाव आयोग प्रमुख आयुक्त ने प्रेस कान्फ्रेंस करके बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)और विपक्षी पार्टियों के लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनावों में वोट चोरी के आरोपों का करारा जवाब दिया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वोट चोरी की बातें केवल जनता को गुमराह करने की कोशिश है। ये भारत के संविधान का अपमना है। उन्होंने ये भी कहा कि चुनाव आयोग और बिहार के 7 करोड़ वोटर किसी भी झूठे आरोप से डरने वाले नहीं हैं।
ये पहली बार नहीं है इससे पहले भी विपक्ष चुनाव आयोग के साथ-साथ मुख्य चुनाव आयुक्त और कार्यप्रणाली पर भी लगातार सवाल उठाता रहा है। आइए जानते हैं कौन मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करता है और इन्हें कितनी सैलरी और सुविधाएं मिलती हैं?
कैसे होता है मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन? भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त का पद अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह लोकसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में केंद्रीय भूमिका निभाता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन केंद्र सरकार द्वारा लागू 2023 अधिनियम के तहत होता है। इस अधिनियम के अनुसार, एक तीन सदस्यीय समिति होती है जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री करते हैं। इस समिति में नेता प्रतिपक्ष और कानून मंत्री भी शामिल होते हैं। यह समिति राष्ट्रपति को मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम की सिफारिश करती है।
चयन प्रक्रिया में, पहले एक समिति पांच नामों को शॉर्टलिस्ट करती है। इसके बाद, प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष और कानून मंत्री वाली तीन सदस्यीय समिति इन शॉर्टलिस्ट किए गए नामों में से एक नाम को अंतिम सिफारिश के लिए राष्ट्रपति के पास भेजती है।
एक बार जब मुख्य चुनाव आयुक्त के नाम की सिफारिश राष्ट्रपति को मिल जाती है, तो राष्ट्रपति उस पर अपनी अंतिम मुहर लगाते हैं। इसके बाद एक आधिकारिक अधिसूचना जारी की जाती है। अधिसूचना जारी होने के बाद, नियुक्त चुनाव आयुक्त निर्वाचन आयोग में अपने पद और गोपनीयता की शपथ लेते हैं। यह नियुक्ति पूरी तरह से राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छह वर्ष का होता है या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले पूरा हो। उन्हें सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के समकक्ष दर्जा प्राप्त होता है, और उन्हें समान वेतन व भत्ते मिलते हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त को कितनी मिलती है सैलरी? भारत में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) का पद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के समकक्ष होता है, जिसमें वेतन और सुविधाएं भी समान स्तर की मिलती हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त आमतौर पर भारत सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी होते हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चुनाव आयुक्तों को प्रति माह 3.5 लाख रुपये वेतन मिलता है। इसके अतिरिक्त, उन्हें 34,000 रुपये का मासिक व्यय भत्ता भी मिलता है, जो पूरी तरह से कर-मुक्त है। चुनाव आयुक्तों को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के समान वेतन और दर्जा प्राप्त होता है।
मुख्य चुनाव आयुक्त को क्या मिलती हैं सुविधाएं? मुख्य चुनाव आयुक्त को आवास, सरकारी वाहन, सुरक्षा और अन्य आवश्यक सुविधाएं भी मिलती हैं। इसके अलावा, उन्हें स्वयं, जीवनसाथी और आश्रित परिवार के सदस्यों के लिए साल में तीन लीव ट्रैवल कंसेशन (LTC) की सुविधा भी दी जाती है।
मुख्य चुनाव आयुकत का कार्यकाल? मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक होता है, जो भी पहले पूरा हो। यह पद देश में चुनावों को निष्पक्ष और सुचारू रूप से संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।