दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का स्तर लगातार खराब होता जा रहा है. खासकर, दिल्लीवासी हर दिन प्रदूषित वातावरण में सांस ले रहे हैं और जी रहे हैं. प्रदूषण न सिर्फ फेफड़ों को बुरी तरह से प्रभावित करता है, बल्कि कई अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं. हाल ही में हुए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि दिल्ली का बढ़ा हुआ प्रदूषण स्तर यहां रहने वालों की आयु को कम कर रहा है. टीओआई में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार, शिकागो यूनिवर्सिटी के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (EPIC) द्वारा पिछले दिनों जारी किए गए एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि दिल्लीवासी यहां के बढ़ते प्रदूषण लेवल खासकर पीएम 2.5 के कारण अपनी अपेक्षित उम्र से 8.2 वर्ष कम जीते हैं.
यदि WHO के दिशानिर्देश के अनुसार, प्रदूषण का स्तर पीएम 2.5 से घटाकर प्रति क्यूबिक मीटर 5 माइक्रोग्राम तक लाया जाए, तो यह आयु ह्रास काफी हद तक कम किया जा सकता है.
क्या है एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स?
एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (AQLI)एक प्रदूषण इंडेक्स है, जो वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक संपर्क और जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) के बीच संबंध को मापता है. यह वार्षिक रिपोर्ट 2023 के प्रदूषण आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित है. वर्ष 2023 में दिल्ली में वार्षिक औसत पीएम2.5 सांद्रता 88.4 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज की गई थी.
रिपोर्ट में ये बात भी सामने आई है कि देश की राजधानी दिल्ली में यदि कणीय प्रदूषण (particulate concentrations) के लेवल को डब्लूएचओ की गाइडलाइंस के अनुसार ला दिया जाए तो एक औसत निवासी 8.2 वर्ष अधिक जी सकता है.
देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र में शामिल उत्तरी मैदानी इलाक़ों में लगभग 54.44 करोड़ लोग रहते हैं. यह भारत की कुल आबादी का लगभग 38.9 फीसदी है. यदि इन इलाकों में भी डब्लूएचओ की गाइडलाइंस तक घटा कर ला दिया जाए तो यहां के लोगों की आयु औसतन पांच वर्ष तक अधिक बढ़ सकती है.राष्ट्रीय मानक की तुलना में यह बढ़त औसतन 1.6 वर्ष की होगी.
दिल्ली-एनसीआर में कम करना होगा पीएम लेवल
इस स्टडी का जब विश्लेषण किया गया तो ये बात सामने आई कि प्रदूषण का स्तर कम करने और लोगों की लाइफ को बढ़ाने के लिए WHO की गाइडलाइंस को फॉलो करना होगा. WHO के मानकों को पूरा करने के लिए एनसीआर (NCR) जिलों को अपने पीएम2.5 स्तर को 44% तक घटाना होगा. ऐसा करके लोगों की औसत जीवन प्रत्याशा में 4.8 वर्ष की वृद्धि हो सकेगी.
पीएम2.5 स्तर WHO के मानकों तक लाया जाए तो लोगों की जीवन प्रत्याशा में इस तरह बढ़ोतरी होगी:
गुरुग्राम के निवासी- 7.1 वर्ष
फरीदाबाद के निवासी- 6.8 वर्ष
गौतम बुद्ध नगर के निवासी- 7.7 वर्ष
ग़ाज़ियाबाद के निवासी – 7.7 वर्ष
टीओआई को दिए एक इंटरव्यू में AQLI निदेशक तनुश्री गांगुली ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण के प्रभावों पर उपलब्ध आंकड़े बेहद चौंकाने वाले हैं. पिछले पांच वर्षों में शहर में प्रदूषण के बढ़ते लेवल को लगातार देखने-समझने से पता चलता है कि यदि ऐसी ही परिस्थितियां बनी रहती हैं तो यहां रहने वाले लोग अपनी उम्र के आठ वर्ष गंवा सकते हैं. उनकी मृत्यु आठ साल पहले ही हो सकती है.ऐसे में ये बेहद जरूरी है कि दिल्ली में प्रदूषण में कमी लाने के लिए सख्त कंसन्ट्रेशन रिडक्शन के टार्गेट को पूरा करने के लिए काम करना होगा तभी आप देश के 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के नेशनल स्टैंडर्ट को पा सकते हैं. इसके लिए शहर को पर्टिक्युलेट कन्संट्रेशंस के लेवल को 50 प्रतिशत से भी अधिक कम करना होगा. तभी औसत दिल्लीवासियों की जीवन प्रत्याशा में 4.5 वर्ष से अधिक की वृद्धि हो सकती है.