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“हैदराबाद गजट का महाराष्ट्र के मराठा आरक्षण से क्या है कनेक्शन? जिसके कारण सरकार को माननी पड़ी मांग”

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“हैदराबाद गजट का महाराष्ट्र के मराठा आरक्षण से क्या है कनेक्शन? जिसके कारण सरकार को माननी पड़ी मांग”

मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को मनोज जरांगे की 8 में से 6 मांगे मान लीं. इसके साथ आंदोजन और भूख हड़ताल खत्म हो गई. जो 5 मांगें मानी गई हैं उसमें हैदराबाद गजट को लागू करने का फैसला, 15 दिन में सतारा और औंध गजट्स को 15 दिन में लागू करने की बात, मृतकों के परिवारों को 15 करोड़ की मदद और नौकरी.

इसके अलावा 58 लाख कुनबी नोंदी ग्राम पंचायत स्तर पर लगेंगी और वंशावली (शिंदे) समिति को ऑफिस और समय मिलेगा.

वहीं जिन 2 मांगों पर सरकार ने इनकार किया है, उसमें सगे-सोयरे प्रमाण पत्र की जांच शुरू करने की मांग और मराठा-कुनबी पर सरकार एक आदेश निकलाने की मांग थी. महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानी गई इन 5 मांगों से हैदराबाद गजट चर्चा में आ गया है. जानिए क्या है हैदराबाद गजट, इसका महाराष्ट्र और मराठा आरक्षण से क्या है कनेक्शन.

क्या है हैदराबाद गजट? आसान शब्दों में समझें तो यह हैदराबाद की रियासत की ओर से जारी होने वाला नोटिफिकेशन (अधिसूचना) है. नोटिफिकेशन में कुनबी यानी किसान जाति को पिछड़ा बताया गया था. इसकी वजह थी इनका सामाजिक और आर्थिकतौर से पिछड़ा होना. अब मराठा आरक्षण के आंदोलन में इसे मुद्दा बनाया गया है. महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार ने कहा है कि हैदराबाद गजट को लागू करने की मांग मान ली है.

हालांकि, सरकार का कहना है कि हर मराठा को कुनबी घोषित करना कानूनी तौर पर आसान काम नहीं है. इस पूरी प्रक्रिया में दो माह का समय लगेगा. वहीं, आरक्षण पर आवाज उठाने वाले जरांगे पाटिल का कहना है कि अगर किसी के रिश्तेदार को कुनबी प्रमाणपत्र मिला है तो बाकी परिवार को भी यह जरूर मिलना चाहिए.

हैदराबाद गजट का महाराष्ट्र से कनेक्शन मनोज जरांगे ने साफतौर पर कहा है कि अब मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठाओं को आरक्षण का फायदा मिलेगा. इससे सीधेतौर पर उन्हें OBC आरक्षण के तहत शिक्षा और नौकरियों फायदा मिलेगा. अब सवाल है कि हैदराबाद के निजाम की अधिसूचना का महराष्ट्र से कनेक्शन क्या है?

इसका कनेक्शन उस दौर से है जब देश आजाद नहीं हुआ था. मराठवाड़ा में महाराष्ट्र के 8 जिले शामिल हैं, लेकिन आजादी से पहले यह हैदराबाद की रियासत का हिस्सा हुआ करता था. हैदराबाद के तत्कालीन निजाम ने 1918 में आदेश दिया था जिसे हैदराबाद गजट के नाम से जाना जाता है.

क्या फायदा होगा? मनोज जरांगे ने मांग की थी कि हैदराबाद गजट को प्रमाण मानते हुए महाराष्ट्र सरकार मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समाज को कुनबी होने का प्रमाण पत्र दे. सरकार ने ऐसा मानते हुए समाज को कुनबी जाति का दर्जा दे दिया है. इससे उन्हें शिक्षा और नौकरी में ओबीसी आरक्षण का फायदा मिलेगा.

इससे मराठा समाज को कुनबी जाति का प्रमाण पत्र लेने की प्रक्रिया आसान हो जाएगी. हालांकि, इसकी पूरी प्रक्रिया के लिए सरकार ने दो माह का समय मांगा है, लेकिन सरकार ने सतारा और औंध गैजेटियर का कानूनी अध्ययन कर 15 दिन में इस पर कोई निर्णय लेने की बात कही है.

कब अलग हुआ मराठवाड़ा? 1948 तक मराठवाड़ा क्षेत्र निज़ाम के हैदराबाद राज्य का हिस्सा हुआ करता था. 17 सितम्बर 1948 को भारत सरकार ने ऑपरेशन पोलाे चलाया और निजामशाही और उनके अत्याचारों का अंतर किया. हैदराबाद राजय को प्रशासनिक रूप से बांटा गया. 1 नवंबर 1956 को स्टेट रिऑर्गेनाइजेशन एक्ट लागू हुआ. इसके तहत भाषा को आधार बनाते हुए राज्यों का पुनर्गठन हुआ. इस तरह मराठवाड़ा, जहां मुख्य भाषा मराठी थी उसे हैदराबाद से अलग करके महाराष्ट्र में शामिल किया गया. तेलुगू भाषा इलाके आंध्र प्रदेश, कन्नड़ भाषी कर्नाटक (तब मैसूर) में चले गए. इस तरह हैदराबाद गजट मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चर्चा में आया.