चीन ने कुछ दिनों पहले ही मिलिट्री परेड का आयोजन किया था. इस शक्ति प्रदर्शन में दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने शिरकत की थी. एक्सपर्ट की नजर में इसका सबसे बड़ा मकसद अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देशों को संदेश देना था कि चीन अब झुकने वाला नहीं है. वहीं, फाइटर जेट से लेकर अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी से लैस मिसाइल को दुनिया के सामने पेश कर राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह संदेश भी दे दिया कि चीन अब डिफेंस तकनीक के क्षेत्र में भी पीछे नहीं है. इससे अमेरिका समेत तमाम वेस्टर्न पावर में खलबली मची हुई है. दूसरी तरफ, भारत की राजधानी दिल्ली में 53 देशों के 67 प्रतिनिधियों का महाजुटान हुआ है. इस महाकार्यक्रम में कई मसलों पर विचार-विमर्श हुआ. ऑपरेशन सिंदूर के बाद सुरक्षा से जुड़ी अपने तरह की यह पहली महाबैठक थी.
इंडियन आर्मी ने बुधवार को दिल्ली कैंट स्थित मानेकशॉ सेंटर में विदेशों से भारत में तैनात रक्षा अताशे के लिए वार्षिक ब्रीफिंग आयोजित की. इस मौके पर समकालीन वैश्विक शांति और सुरक्षा से जुड़े मुद्दों तथा उन पर भारत के दृष्टिकोण को साझा किया गया. सेना ने गुरुवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि इस कार्यक्रम में 53 देशों से आए 67 रक्षा अताशे शामिल हुए. इस दौरान भारत की सुरक्षा नीतियों, रणनीतिक प्राथमिकताओं और वैश्विक चुनौतियों के प्रति दृष्टिकोण पर विस्तार से चर्चा हुई.
इंडियन आर्मी चीफ भी रहे मौजूद
कार्यक्रम में भारत के सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भी हिस्सा लिया और विदेशी अताशे के साथ बातचीत की. उन्होंने उभरते क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा परिदृश्यों, भारत की रणनीतिक सोच और भारतीय सेना की प्राथमिकताओं पर अपने विचार साझा किए. सेना ने बताया कि इन चर्चाओं से रक्षा सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और वैश्विक शांति व स्थिरता की दिशा में साझा समझ विकसित होगी. भारतीय सेना ने ब्रीफिंग के दौरान आत्मनिर्भर भारत अभियान और स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में हो रहे प्रयासों की जानकारी भी दी. अधिकारियों के अनुसार, इस पहल का उद्देश्य न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करना है बल्कि मित्र देशों के साथ सहयोग के नए आयाम भी स्थापित करना है.
4 घंटे तक चली महाबैठक
सेना द्वारा साझा की गई तस्वीरों में विदेशी रक्षा अताशे और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों को विभिन्न सत्रों में भाग लेते हुए देखा जा सकता है. कार्यक्रम ने भागीदार देशों के प्रतिनिधियों को भारत की सैन्य दृष्टि और दीर्घकालिक रणनीतिक दिशा को बेहतर ढंग से समझने का अवसर दिया. भारतीय सेना के मुताबिक, इस तरह के संवाद से आपसी विश्वास और सहयोग की भावना को बल मिलता है. साथ ही यह अवसर वैश्विक स्तर पर शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने वाली सामूहिक पहल को मजबूत करता है. करीब चार घंटे चले इस वार्षिक सत्र में रक्षा अताशे ने भारतीय सैन्य नेतृत्व के साथ कई मुद्दों पर विचार-विमर्श किया और भविष्य में रक्षा साझेदारी को गहरा करने पर सहमति जताई.