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“म्यांमार में भारत और चीन आ रहे आमने-सामने, अरबों डॉलर के खजाने के लिए नई दिल्ली का अचूक दांव, तिलमिला उठेगा ड्रैगन”

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दुनिया में रेयर अर्थ के बाजार पर अभी चीन का प्रभुत्व है, जो अभी 70 फीसदी आपूर्ति का उत्पादन करता है। लेकिन अब इसे तोड़ने के लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। दुनिया में दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए नए क्षेत्रों की तलाशे जा रहे हैं, जिसमें भारत का पड़ोसी देश म्यांमार भी शामिल है, जहां बड़े भंडार मौजूद हैं।

भारत की नजर भी इस पड़ोसी देश के रेयर अर्थ भंडार पर है। समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि भारत म्यांमार के सशस्त्र विद्रोही समूह काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (KIA) को रेयर अर्थ तत्वों के स्रोत के लिए एक संभावित साझेदार के रूप में देख रहा है।

रेयर अर्थ के लिए विद्रोही समूह की तरफ नजर

रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत की सरकारी स्वामित्व वाली इंडियन रेयर अर्थ लिमिटेड (IRIL) और निजी फर्म मिडवेस्ट एडवांस्ड मेटेरियल्स को उत्तरी काचिन राज्य में KIA की खदानों से अयस्क के नमूनों का मूल्याकंन करने का काम सौंपा गया है। KIA ने 2024 में रेयर अर्थ से समृद्ध सीमावर्ती क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। इसने अब तक मुख्य रूप से चीनी खरीदारों के साथ ही कारोबार किया है।

हालांकि, विद्रोही समूह की जुंटा शासन वाले कस्बों पर बढ़त और बीजिंग के रेयर अर्थ और चुंबकों के निर्यात पर लगातार लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते नई दिल्ली में इस संभावना पर विचार किया जा रहा है कि क्या जातीय विद्रोहियों के साथ सहयोग रणनीतिक विकल्प प्रदान कर सकता है। दुर्लभ मृदा तत्व 17 धातुओं का एक समूह है, जो चुंबकों, बैटरियों, इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा प्रणालियों और मिसाइल जैसे उन्नत रक्षा प्रणालियों के आवश्यक है।

रेयर अर्थ बाजार पर चीन का कब्जा

लेकिन म्यांमार का रेयर अर्थ भंडार चीन और भारत में प्रतिस्पर्धा की स्थिति में ला रहा है। वर्तमान में चीन वैश्विक रेयर अर्थ उद्योग पर हावी है। यह 70 फीसदी खनन आपूर्ति का उत्पादन करता है और लगभग 90 प्रतिशत शोधन क्षमता रखता है। लेकिन हाल के वर्षों कड़े पर्यावरण नियमों के चलते चीन में घरेलू खनन में गिरावट आई है। बीजिंग पड़ोसी म्यांमार से आपूर्ति करते इसकी भरपाई कर रहा है।

2021 के तख्तापलट के बाद से म्यांमार का चीन को दुर्लभ मृदा तत्वों का निर्यात पांच गुना से ज्यादा बढ़ गया है। 2024 में यह लगभग 3.6 अरब डॉलर पहुंच गया। लगातार छह वर्षों से म्यांमार चीन का शीर्ष आपूर्तिकर्ता है। इस उछाल का बड़ा हिस्सा तब आया जब सैन्य शासकों ने उत्तरी काचिन में राज्य में अवैध खनन को बढ़ावा दिया गया। राज्य में डिस्प्रोसियम और टेरबियम के भंडार हैं।

भारत की रेयर अर्थ पर चिंता

भारत के पास अपने बड़े दुर्लभ मृदा भंडार हैं,लेकिन उनका दोहन करने की क्षमता सीमित है। इसके चलते देश आयात पर निर्भर हो जाता है। भारत के दुर्लभ मृदा आयात का लगभग 80% चीन से आता है। बीजिंग ने अप्रैल 2025 में रणनीतिक खनिजों और चुंबकों के निर्यात पर रोक लगा दी, तो भारत के विकास और सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण उद्योगों पर खतरा मंडराने लगा था। इसने भारत को जापान और दक्षिण कोरिया के साथ प्रोसेसिंग पार्टनरशिप की तलाश करने और KIA को एक संभावित आपूर्तिकर्ता के रूप में विचार करने के लिए प्रेरित किया है।