बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) पर मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स कानून के तहत टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) काटा जाता है. यह नियम तब लागू होता है जबकि आपको एफडी पर सालाना 40 हजार रुपए से ज्यादा ब्याज मिले.
हालांकि यदि आपकी कुल इनकम टैक्सेबल दायरे से बाहर तब आप बैंक में फार्म 15जी/फॉर्म 15एच भरकर टीडीएस से बच सकते हैं. यदि आपने पहले ही प्रीवियस इयर में फिक्स्ड डिपॉजिट्स को लेकर ये फॉर्म जमा कर दिए हैं, तो भी इसे फिर से जमा करना होगा. वरिष्ठ नागरिकों के लिए किसी वित्त वर्ष में ब्याज की सीमा 50 हजार रुपए की है.
पैन नहीं है तो ब्याज पर 20% का लगेगा टीडीएस
बैंक एफडी से होने वाली ब्याज आय पर टीडीएस 10 फीसदी की दर से लगता है लेकिन अगर आपने पैन नहीं दिया है तो इस पर 20 फीसदी की दर से टीडीएस कटेगा. ऐसे में अगर आप 30 फीसदी के उच्चतम टैक्स ब्रेकेट में आते हैं तो 10 फीसदी की दर से टीडीए चुकाना ही काफी नहीं होगा. इसके अलावा जिनकी आय एग्जेंप्टेड लिमिट से ऊपर नहीं है, वे बैंक को सूचित कर सकते हैं कि टीडीएस न काटा जाए.
समझें 15जी व 15 एच फार्म में अंतर
आमतौर पर किसी वित्त वर्ष की शुरुआत में बैंक के पास फॉर्म 15जी/फॉर्म 15एच जमा कर दी जाती है. फॉर्म 15एच ऐसे इंडिविजुअल्स के लिए है जिनकी आय 60 वर्ष से अधिक है और फॉर्म 15जी ऐसे सभी अन्य लोगों के लिए है जिनकी कुल आय उस अधिकतम राशि से अधिक नहीं होती है, जिस पर इनकम टैक्स नहीं चुकाना पड़ता है. आयकर अधिनियम के मुताबिक ये फॉर्म सिर्फ वहीं लोग सबमिट कर सकते हैं जिनकी आय एग्जेंप्शन लिमिट से कम हो. 60 वर्ष से कम की उम्र के लोगों के लिए 2.5 लाख रुपये तक की आय एग्जेंप्टेड है. 60 वर्ष से अधिक और 80 वर्ष से कम की उम्र के लोगों के लिए 3 लाख रुपये तक की आय टैक्स एग्जेंप्टेड है. 80 साल से अधिक की उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स लाइबिलिटी नहीं बनती है.
आईटीआर फाइलिंग में एडजस्ट होगा टीडीएस
बैंक एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर निवेशकों को ही टैक्स चुकाना होता है और बैंक इस पर टीडीएस लगाती है जिसे इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइलिंग के दौरान एडजस्ट किया जाता है.