Cyclone Biparjoy Live Tracking: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के मुताबिक चक्रवात ‘बिपारजॉय’ (Cyclone Biparjoy) काफी नुकसान कर सकता है। बिपारजॉय के गुजरात के कच्छ, देवभूमि द्वारका और जामनगर जिलों को सबसे अधिक प्रभावित करने की संभावना है।
इस चक्रवात से इन जिलों में बहुत अधिक बारिश हो सकती है। बिपारजॉय के चलते बहुत अधिक वित्तीय नुकसान होने की भी संभावना है।
जब भी कोई तूफान आता है तो उसकी तैयारी पर राज्य और केंद्र सरकारों हजारों करोड़ रु खर्च करती हैं। इस तरह की कोई भी प्राकृतिक आपदा सरकारी खजाने को काफी नुकसान पहुंचाती है। राहत एवं बचाव कार्यों पर सरकार को बहुत पैसा खर्च करना पड़ता है। साथ ही कारोबारियों को भी कई तरह से नुकसान होता है।
1,40,478 करोड़ रु हो चुके हैं खर्च
बीते तीन वर्षों में केंद्र और राज्य सरकारों ने ऐसी प्राकृतिक आपदाओं पर राहत एवं बचाव कार्य के लिए 140478.16 करोड़ रुपये से अधिक पैसा खर्च किया है। 13 जून से 15 जून तक ‘बिपारजॉय’ तूफान के लिए चेतावनी जारी कर दी गई है।
कैसे-कैसे होता है नुकसान
जब कोई चक्रवात या तूफान आता है तो वो कई तरीकों से नुकसान पहुंचाता है
- प्रोडक्शन पर असर पड़ता है
- प्रोडक्शन के अलावा सप्लाई भी प्रभावित होती है
- महंगाई में बढ़ोतरी की संभावना रहती है
- रोजगार पर भी असर पड़ता है
- राज्य और केंद्र सरकारों के खजाने पर चपत लगती है
- पालतू पशुओं की मौत से आम लोगों को आर्थिक नुकसान होता है
- बिपारजॉय भी इस तरह के तमाम नुकसान पहुंचा सकता है
बीते सालों में कितनी राशि आवंटित हुई
- 2019-20 में ऐसी आपदाओं के लिए केंद्र और राज्यों ने 13465 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की
- 2020-21 में यह आंकड़ा 23186.40 करोड़ रु का रहा
- 2021-22 में ये आंकड़ा 23186.40 करोड़ रुपये का रहा
रिलायंस इंडस्ट्रीज और अडानी ग्रुप ने रोका काम
रिलायंस इंडस्ट्रीज ने बिपारजॉय के कारण गुजरात के सिक्का बंदरगाह से डीजल और अन्य तेल उत्पादों की शिपिंग रोक दी है। वहीं अडानी ग्रुप ने भी फिलहाल इस क्षेत्र में ऑपरेशन रोक दिया है। अडानी पोर्ट्स का मुंद्रा ऑपरेशन, भारत का सबसे बिजी कंटेनर हार्बर, वाडिनार और सिक्का के तेल बंदरगाहों के साथ-साथ कांडला, ओखा, बेदी और नवलखी ने अपनी एक्टिविटीज को फिलहाल बंद कर दिया है।
3 सालों में आए कौन-कौन से तूफान
बीते 3 सालों में तीन बड़े तूफान आए हैं। इनमें गाजा’ ‘तितली’ और ‘बुलबुल’ शामिल हैं, जिन्होंने कई राज्यों में काफी नुकसान किया। ‘बुलबुल’ ने पश्चिम बंगाल में बहुत तबाही मचाई थी। तब राज्य ने राहत एवं बचाव कार्य के लिए केंद्र से 7317 करोड़ रुपये की मदद मांगी थी। 2019 में ओडिशा में ‘फनी’ तूफान के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 5227.61 करोड़ रुपये मांगे थे। तब केंद्र ने 3114.46 करोड़ रुपये की राशि दी थी।