एक देश एक कानून की हलचल के बीच समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे से पूर्वोत्तर और जनजातीय समूहों को बाहर रखने का मामला बीजेपी के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है. संसदीय समिति की बैठक में बीजेपी नेता सुशील मोदी ने जनजातीय समूहों के हितों की रक्षा की पुरजोर वकालत की.
वहीं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उनके यहां इस विषय का ख्याल रखा जा रहा है.
समान नागरिक संहिता को लेकर लॉ कमीशन द्वारा मांगे गए सुझाव को लेकर लोगों के सुझाव आ चुके रहे हैं. कानून और न्याय मामलों की संसद की समिति ने इस पर अपनी बैठक में पहली बार सोमवार को चर्चा की.
उत्तराखंड में राज्य सरकार द्वारा यूसीसी पर गठित विशेषज्ञ समिति अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट बस सौंपने वाली है, लेकिन बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है समान नागरिक संहिता के जद में देश के जनजातीय समुदाय को लाना.
आदिवासी समाज की चिंता
जनजातीय समुदाय के बीच बीजेपी की मातृ संस्था आरएसएस लंबे समय से काम कर रही है, जिसे इस बात का डर है कि यूसीसी आने से उनकी परंपरा पर खतरा आ जाएगा. लिहाजा आरएसएस की अनुसांगिक संगठन बनवासी कल्याण ने इस मुद्दे को सॉफ्टली हैंडल करने का सुझाव दिया है. पारंपरिक रूप से आदिवासी समाज में संघ परिवार और बीजेपी की पैठ मजबूत रही है, लिहाजा बीजेपी इसका हल निकालने की कोशिश में जुट गई है.
इसी क्रम में कानून और न्याय मामलों की संसदीय समिति की बैठक में समिति के अध्यक्ष सुशील मोदी ने लॉ कमिशन और कानून मंत्रालय के अधिकारियों के सामने यूसीसी पर कानून ड्राफ्टिंग से पहले आदिवासी समाज की चिंता को जाहिर करते हुए उनके कस्टम्स और रीति, परंपरा का विशेष ख्याल रखे जाने की पुरजोर वकालत की. बैठक में बीजेपी के वरिष्ठ सांसद सुशील मोदी ने कहा, “अनुसूचित जाति एवं पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित कानून प्रस्तावित यूसीसी के दायरे से बाहर रखे जाएं.”
UCC को लाने में केंद्र नहीं दिखाएगा हड़बड़ी
संसदीय समिति के सदस्यों से सुशील मोदी ने कहा, “बहु-विवाह, तलाक एवं भरण-पोषण, गोद लेना और महिलाओं के संपत्ति से जुड़े अधिकारों आदि से संबंधित कानूनों पर चर्चा होना चाहिए.” बहरहाल, राष्ट्रीय स्तर पर यूसीसी पर कानून बनाने को लेकर कंसल्टेशन की प्रक्रिया चल रही. सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार इसको लाने में कोई हड़बड़ी नहीं दिखाएगी. पहले ये कानून बीजेपी शासित राज्यों में लागू किए जाएंगे, जिसकी शुरुआत उत्तराखंड से की जा रही है.
उत्तराखंड में कंसल्टेशन की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है अब यहां मिले सुझावों को पांच सदस्यीय समिति ने कंपाइल कर अपनी रिपोर्ट बनाना शुरू कर दिया है. माना जा रहा है कि जुलाई मध्य तक उत्तराखंड सरकार को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी, जिसके अध्ययन के बाद यूसीसी पर कानून लाया जाएगा. दिल्ली में पिछले 3 दिनों से यूसीसी को लेकर उत्तराखंड के सीएम रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन मंत्री बीएल संतोष से अलग अलग मीटिंग कर चुके हैं. प्रधानमंत्री से मंगलवार को मीटिंग के बाद पुष्कर धामी ने बताया कि यूसीसी के अंदर जनजातीय समूहों को लाने को लेकर राज्य सरकार द्वारा गठित समिति ने विस्तृत अध्ययन किया है.
UCC उत्तराखंड के बाद गुजरात में हो सकता लागू
बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, एक देश एक कानून के मुद्दे पर थाह-थाह कर कदम बढ़ाएगी. उत्तराखंड के बाद गुजरात जैसे एक दो अन्य राज्यों में भी इसको लागू किया जा सकता है. उसके बाद ही इसे राष्ट्रीय स्तर पर लाने का प्रयास किया जाएगा. उत्तराखंड में सबसे पहले कानून लागू कर पार्टी वाटर टेस्ट करना चाहती है, फिर उसकी कमियों को अन्य राज्यों में सुधार कर फाइनली इसे केंद्र सरकार देश में लागू करने की कोशिश करेगी. इस बीच जनजातीय समूहों को यूसीसी के दायरे से बाहर रखने की कोशिश के तहत एक प्रावधान ये हो सकता है कि असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम सरीखे 6वें शेड्यूल स्टेट बाहर रखे जा सकते हैं.