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अभी और बढ़ेंगे टमाटर के तेवर! इतना महंगा होगा कि अभी वाली कीमत लगेगी सस्ती, जान लें नया रेट।

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अभी और बढ़ेंगे टमाटर के तेवर! इतना महंगा होगा कि अभी वाली कीमत लगेगी सस्ती, जान लें नया रेट।

नई दिल्‍ली. करीब दो महीनों से आसमान छू रहे टमाटर के दाम अभी और करंट देने वाले हैं. गरीब और मध्‍यम वर्ग के लोगों की परेशानी आगे आने वाले दिनों में और भी ज्‍यादा बढ़ सकती है. टमाटर के दाम 200 रुपये प्रति किलो के पार जा सकते हैं.

थोक व्‍यापारी ही करीब 200 रुपये की कीमत में टमाटर खरीदने को मजबूर हैं. ऐसे में समझा जा सकता है कि खुद्रा बाजार में इसकी कीमतें कहा तक जा सकती हैं. उत्‍तराखंड की मंडी में एक क्रेट टमाटर की कीमत 4,100 रुपये तक पहुंच गई है. एक क्रेट में 25 किलो टमाटर होते हैं. अगर इसमें मंडी प्रशासन को दी जाने वाली कमीशन, माल को दिल्‍ली तक लाने का किराया जोड़ लिया जाए तो यह कीमत दिल्‍ली की मंडी में 5,000 रुपये तक पहुंच सकती है. यही वजह है कि टमाटर की कीमत खुद्रा बाजार में इतनी अधिक पहुंचने की संभावना है, जिसे देखते हुए लोगों को शायद आज की कीमत कम लगने लगे.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक दिल्‍ली की केशापुर मंडी में सरदार टोनी सिंह नामक व्‍यापारी देहरादून स्थित विकास नगर से टामटर 4,100 रुपये प्रति क्रेट में लेकर आए हैं. टोनी सिंह ने कहा कि अपने जीवन काल में उन्‍होंने टमाटर के इतने अधिक दाम कभी भी नहीं देखे हैं. इस साल दामों ने बीते सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस सीजन में आमतौर पर टमाटर 1,200 से 1,500 रुपये प्रति 25 किलो के दाम पर मिलता हैं.

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क्‍यों इतने महंगे हैं टमाटर? 

फिलहाल दिल्‍ली की रिटेल मार्केट में टमाटर 150 से 180 रुपये प्रति किलो पर बिक रहे हैं. टमाटर के व्‍यापारियों का कहना है कि देश में कुछ हिस्‍सों में बेहद अधिक मानसून की बारिश और कुछ क्षेत्रों में कम बारिश के कारण टमाटर की फसल बर्बाद हो गई है. इस वक्‍त देश में टमाटर की भारी किल्‍लत है. यही वजह है कि जून से ही टमाटर के दाम आसमान छू रहे हैं.

इस वजह से किसानों ने कम लगाई टमाटर की फसल 

वेजिटेबल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्‍यक्ष अनिल मल्‍होत्रा ने कहा कि दिल्‍ली को टमाटर की सप्‍लाई उत्‍तराखंड, महाराष्‍ट्र, हरियाणा और कर्नाटक से मिलती है. साल 2021 और 2022 में टमाटर की बंपर फसल हुई थी. तब किसानों को अपनी फसल को फेंकना पड़ा था क्‍योंकि बाजार भाव इतना कम था कि उससे फसल को मंडियों तक ले जाने का भाड़ा भी नहीं निकल पा रहा था. यही वजह है कि इस साल उत्‍तराखंड और देश के अन्‍य हिस्‍सों के किसानों ने इस साल टमाटर की फसल कम ही उगाई.