इंडिया गठबंधन की पहली रैली नागपुर में हो सकती है. पहले ये रैली भोपाल में करने का फैसला हुआ था.
इस बात की घोषणा कांग्रेस के संगठन महामंत्री के सी वेणुगोपाल ने की थी. इंडिया गठबंधन की दिल्ली में हुई पहली कोआर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग में ये तय हुआ था.
इंडिया गठबंधन की अगली बैठक नागपुर में संभव
सूत्रों से जानकारी मिली है कि इंडिया गठबंधन की अगली बैठक भी नागपुर में करने पर विचार हो रहा है. गठबंधन के कुछ सहयोगी दलों की राय है कि जब रैली के लिए सब आएंगे तो फिर मीटिंग भी कर ली जाए.
पिछली बैठक मुंबई में 30 सितंबर और एक अक्टूबर को हुई थी. इसके बाद से कांग्रेस के नेता राज्यों के विधानसभा चुनाव में व्यस्त हो गए, जबकि तय हुआ था कि इंडिया गठबंधन की मीटिंग महीने में कम से कम एक बार तो जरूर हो.
गठबंधन की तरफ से 31 अक्टूबर तक सीटों के बंटवारे को लेकर भी फार्मूला तय हो जाए, गठबंधन का नाम रखने के अलावा कुछ भी संभव नहीं हो पाया है.
इंडिया गठबंधन में कुछ सहमत, कुछ असहमत:-
- नागपुर में इंडिया गठबंधन की पहली रैली के लिए तारीख अभी तक तय नहीं है.
- एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार तो चाहते थे कि ये रैली इसी महीने की आखिर में हो.
- कहा जा रहा है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इसके लिए राजी नहीं हुईं उन्होंने कहा कि बंगाल में तब पूजा और त्यौहार का समय होगा इसीलिए तारीख आगे बढ़ा दी जाए.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस पार्टी ने नवंबर के पहले हफ्ते में रैली करने का प्रस्ताव रखा है.
शरद पवार और शिव सेना के चीफ उद्धव ठाकरे भी इसके लिए तैयार हो गए हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव से भी इस बारे में बातचीत कर ली गई है. समझा जा रहा है कि लेफ्ट पार्टियों को भी इस बारे में बता दिया गया है.
नागपुर में इंडिया गठबंधन की पहली रैली और बैठक को लेकर कांग्रेस के नेताओं की एक राय नहीं है. पार्टी के एक राष्ट्रीय महासचिव ने बताया कि उस समय एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार चल रहा होगा. ऐसे में पार्टी के सीनियर नेताओं के लिए दो दिन निकालना बड़ा मुश्किल हो सकता है.
बेंगलुरू की मीटिंग में तय हुआ गठबंधन का नाम
विपक्षी एकता की पहली बैठक पटना में हुई थी. तब तो गठबंधन का नाम भी तय नहीं हो पाया था. फिर बैंगलुरु की मीटिंग में आपसी सहमति से गठबंधन का नाम इंडिया रखे गया. मुंबई में गठबंधन की तीसरी बैठक में कई फ़ैसले किए गए. साथ ही प्रचार से लेकर कोआर्डिनेशन कमेटी भी तय कर दी गई. सारे बड़े फ़ैसले लेने का अधिकार कोआर्डिनेशन कमेटी के पास है.
टीएमसी को छोड़ कर सभी पार्टियॉं जातिगत जनगणना के मुद्दे पर एक साथ हैं. गठबंधन के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा चुनावों को लेकर सीटों के तालमेल की है.
टीएमसी का कोई नेता इस मीटिंग में मौजूद नहीं था लेकिन एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ इसके लिए तैयार नहीं हुए. उन्होंने 15 सितंबर को इस रैली को रद्द करने की जानकारी मीडिया को दे दी. कमलनाथ नहीं चाहते थे कि विधानसभा चुनाव की तैयारी छोड़ कर वे साझा रैली के इंतजाम में जुट जाएं. वैसे भी एमपी में कांग्रेस के अलावा इंडिया गठबंधन के किसी घटक दल का कोई प्रभाव नहीं है.