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पूजा के बाद आखिर क्यों की जाती है आरती? जानिए इसका महत्व और सही तरीका

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हिंदू धर्म में मंदिरों व घर में सुबह-शाम भगवान की पूजा व आरती होती है. कहते हैं कि इससे घर में पॉजिटिविटी और भगवान भी प्रसन्न होते हैं. जिस घर पर भगवान की कृपा होती है वहां सुख-समृद्धि व खुशहाल का वास होता है.

भगवान की पूजा करते समय आरती अवश्य की जाी है और मान्यता है कि आरती के बिना पूजा या अनुष्ठान पूरा नहीं होता. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर पूजा के दौरान भगवान की आरती क्यों की जाती है? तो आइए जानते हैं आरती का महत्व और आरती करने का सही तरीका.

पूजा के बाद क्यों करते हैं आरती? स्कंद पुराण के मुताबिक, भगवान विष्णु ने स्वंय कहा है कि ‘जो व्यक्ति अनेक बत्तियों से युक्त और घी से भरे हुए दीप को जलाकर मेरी आरती उतारता है, वह कोटि कल्पों तक स्वर्गलोक में निवास करता है. जो प्राणी मेरे आगे होती हुई आरती का दर्शन करता है, वह अंत में परमपद को प्राप्त होता है. जो मेरे आगे भक्तिपूर्वक कपूर की आरती करता है, वह मनुष्य मुझ अनंत में प्रवेश कर जाता है. यह सब तभी संभव है जब मंत्रहीन और क्रियाहीन मेरा पूजन किया जाए. लेकिन मेरी आरती कर देने पर सर्वथा परिपूर्ण हो जाता है.’ यानि सनातन धर्म में मन की शांति और भगवान के प्रति अपने विश्वास को प्रकट करने का सबसे सरल तरीका आरती है. धर्म पुराणों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आरती करते समय व्यक्ति स्वंय को भगवान के नजदीक महसूस करता है और अपने जीवन में आ रही मुश्किल से राहत पाने की प्रार्थना करता है. इसलिए पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व माना गया है.

कैसे करनी चाहिए आरती? पूजा के आरती करने का एक तरीका होता है. पूजा करने के बाद आरती की थाली को खास तरीके से सजाया जाना चाहिए. इसके लिए तांबे, पीतल और चांदी की थाली का उपयोग कर सकते हैं. आरती की थाली में रोली, कुमकुम, अक्षत, ताजे पुष्प और प्रसाद रखा जाता है. इसके अलावा इसमें दीपक रखा जाता है और उसमें शुद्ध घी या कपूर रखते हैं. आप आरती के लिए आटे का दीया भी रख सकते हैं. आरती करते समय पूजा की थाली में दीपक जलाकर उसे भगवान के चरणों से शुरू किया जाता है. भगवान के चरणों में चार बार, फिर नाभि के पास दो बार और सात बार भगवान के मुख की आरती करनी चाहिए.

दूर होता है वास्तुदोष माना जाता है कि जिस घर पर प्रतिगिन आरती की जाती है वहां आस-पास नकारात्मक ऊर्जा नहीं रहती हैं. ऐसी जगहें सकारात्मकता से भरी होती हैं. इससे जीवन के सभी संकट दूर हो जाते हैं और पूजा का पूरा फल मिलता है. डिस्क्लेमर: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक आस्थाओं पर आधारित हैं.