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छत्तीसगढ़ : नक्सलवाद-आतंकवाद का खात्मा, छत्तीसगढ़ के डिप्‍टी CM विजय शर्मा ने कही ये बात…

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छत्तीसगढ़ : नक्सलवाद-आतंकवाद का खात्मा, छत्तीसगढ़ के डिप्‍टी CM विजय शर्मा ने कही ये बात…

राज्य के उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री बने कवर्धा के विधायक विजय शर्मा विधानसभा चुनाव के दौरान हिंदुत्व के बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं। उन्हें भाजपा का फायरब्रांड नेता भी कहा जाता है।

शर्मा का कहना है कि छत्तीसगढ़ और देश में भाजपा की सरकार आने का मतलब ही है कि देश से नक्सलवाद-आतंकवाद खात्मा हो जाना। अगर नक्सली बात करना चाहते हैं तो वह अवास्तविक शर्तें नहीं रख सकते हैं।

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार संकल्प के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में आगे बढ़ रही है और इसीलिए आपको यह परिवर्तन दिख रहा है। कुछ तकनीकी सुधार भी हुए हैं जो कि सुरक्षा के मद्देनजर हम ज्यादा नहीं बोल सकते हैं, वह अलग मसला है। भाजपा का संकल्प पत्र ही नक्सलवाद और आतंकवाद के खात्मे का अस्त्र-शस्त्र है।

नक्सलवाद के संदर्भ में एक ही बात तय है कि इसका समर्थन करने वाला चाहे जंगल का हो, शहर का हो या गांव का हो। उनके लिए यही है कि आप सुधर जाएं, बदल जाएं, मुख्यधारा में लाैट आएं, अन्यथा सख्त कार्रवाई होगी।

राज्य सरकार बस्तर के गांव में विकास के लिए प्रतिबद्ध है, इसलिए बाधाओं को खत्म करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता है नक्सलवाद को समाप्त करना है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने तीन वर्ष के भीतर नक्सलवाद को खत्म करने का लक्ष्य रखा है।

नक्सल विषय को अगर अच्छे से समझेंगे तो यहां टाप कैडर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश का है। यही लोग छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद को चलाना चाहते हैं। यहां छत्तीसगढ़ के स्थानीय लोगों को नक्सली केवल उपयोग कर रहे हैं। मैं दावे के साथ यह कहना चाहता हूं कि 95 प्रतिशत लोग फंसकर नक्सलियों के लिए काम कर रहे हैं,

हम विकास के लिए नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। अगर विकास में बाधक कोई बनेगा तो सख्ती भी दिखाई देंगे। नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई का एक ही मकसद और प्राथमिकता है.

छत्तीसगढ़ के वे लोग जो कि बहकावे में आकर नक्सलवाद के प्रति आकर्षित हो चुके हैं वह मुख्यधारा में लौटे इसकी अपील भी कर रहे हैं। हमने नक्सलियों से भी पुनर्वास नीति में क्या बदलाव हो सकता है इसके लिए सुझाव मांगा है। अब नक्सली मोबाइल इस्तेमाल कर रहे हैं। अगर वह सामने नहीं आ सकते हैं तो वह गूगल फार्म व मेल के जरिए अपना सुझाव दे सकते हैं। अन्य हालांकि राज्यों की तुलना में हमारी पुनर्वास नीति बेहतर है हम उसमें और संशोधन करना चाहते हैं।

सरकार बस्तर के आदिवासियों की ही तो है और प्रदेश के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय। यह विश्वास उन लोगों के भीतर भी होनी चाहिए जो कि नक्सलवाद से पीड़ित हैं। हमारे सुरक्षा के जवानों ने नक्सली माड़वी हिड़मा के पूवर्ती गांव में नया पुलिस कैंप खोलकर नक्सलियों के सबसे मजबूत कहे जाने वाले किले को ढहा दिया। यह इसलिए नहीं कि हम नक्सलियों को डराना चाहते है, यह इसलिए है कि लोगों का सरकार के प्रति विश्वास और मजबूत हो।

पांच महीने में 122 नक्सली हुए ढेर, विकास व बंदूक एक साथ : विजय शर्मा के गृह मंत्री बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय नक्सलियों के खिलाफ लगातार मोर्चा खोल रहे हैं। केंद्र और राज्य के बेहतर तालमेल से नौजवानों का हौसला बढ़ा हुआ है। पांच महीने के भीतर प्रदेश में 122 नक्सली ढेर हो चुके हैं। 432 नक्सली गिरफ्तार हुए हैं और 400 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। 28 से अधिक नए सुरक्षा कैंप खोलकर जवान नक्सलियों के मांद तक पहुंच रहे हैं और नियद नेल्लानार योजना के तहत यहां के लोगों को बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं।

भगवा झंडा विवाद के बाद राजनीति में हुआ बड़ा कद : उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा धर्म के प्रति बेहद संवेदनशील हैं। उनका नाम उस समय चर्चा में आया जब कवर्धा में भगवा झंडा विवाद में अक्टूबर 2021 में वह जेल गए। हालात इतने बिगड़ गए कि यहां 18 दिन तक कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। इंटरनेट की सेवाएं तक बंद करनी पड़ी। उसके बाद हिंदु संगठनों ने बड़ा आयोजन करके यहां 120 फीट ऊंचा झंडा फहराया। कवर्धा में फैले इस सांप्रदायिक तनाव में कई भाजपा नेता जेल गए। इसका असर भूपेश सरकार पर भी पड़ा, उन्हें सत्ता गंवानी पड़ी। शर्मा ने भाजपा संगठन में भी भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश भाजपा के महामंत्री का दायित्व संभाला। विधानसभा चुनाव में भी मोर आवास, मोर अधिकार जैसे बड़े आंदोलनों की पटकथा लिखी। यही वजह है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने शर्मा को विधायक बनने के बाद सीधे उप मुख्यमंत्री व गृह मंत्री बना दिया। शर्मा ने पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से फिजिक्स में एमएससी की है। वह पहले कोचिंग में भी पढ़ाते थे। उन्हें हिंदी ,अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में बराबर पकड़ है। छत्तीसगढ़ी बोली-भाषा से भी लोगों को साधते हैं।