होम लोन, पर्सनल लोन या ऑटो लोन लेने वालों के लिए रिजर्व बैंक ने बड़ी सहूलियत वाला फैसला किया है. आरबीआई ने अपने हालिया आदेश में कहा है कि सिबिल स्कोर की जानकारी अब रियल टाइम में देनी होगी, जो अभी तक कंपनियां 15 दिनों में एक बार अपडेट करती हैं. आरबीआई के इस फैसले से लोन लेने वालों को बड़ा फायदा मिलने का अनुमान है.
क्रेडिट की लगातार जानकारी जरूरी
राव ने कहा कि हमें क्रेडिट सूचना के बारे में अधिक और लगातार जानकारी की उम्मीद करनी चाहिए. वास्तविक समय या लगभग वास्तविक समय पर क्रेडिट सूचना मिलने से जोखिम आकलन की परिशुद्धता बढ़ेगी, ऋण खाते को बंद करने या पुनर्भुगतान जैसी उधारकर्ता गतिविधियों को दर्शाने में मदद मिलेगी और उपभोक्ता का अनुभव भी बेहतर होगा. इस अवसर पर राव ने यह माना कि प्रौद्योगिकी, प्रक्रिया पुनर्रचना और परिवर्तन प्रबंधन में निवेश होने से इसमें लागत आएगी लेकिन यह राशि उससे होने वाले फायदों से कहीं कम होगी.
क्रेडिट संस्थानों पर ज्यादा निर्भरता
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि इस मामले में एक अन्य प्रमुख चुनौती पहचान मानकीकरण की है. सीआईसी सटीक और मान्य पहचान देने के लिए क्रेडिट संस्थानों पर निर्भर है. इसके बिना दोहराव और गलत रिपोर्टिंग का जोखिम बना रहता है. आरबीआई के डिप्टी गवर्नर ने जटिल कृत्रिम मेधा (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) मॉडल के इस्तेमाल से मॉडल संबंधी जोखिम को लेकर चिंता जताते हुए कहा कि इनका पूरी तरह परीक्षण, सत्यापन या पूर्वाग्रहों और प्रदर्शन में उतार-चढ़ाव के लिए निगरानी नहीं होने से समस्या होती है.
डिफॉल्ट से निपटने के लिए जरूरी
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि बैंकों को डिफॉल्ट से निपटने के लिए बाकायदा तैयारी करनी होगी. मौजूदा मॉडल को निष्पक्ष, पारदर्शी और नियामकीय एवं नैतिक मानकों के अनुरूप बनाए रखने के लिए कठोर सत्यापन प्रावधान, निरंतर निगरानी और मजबूत शासन ढांचा जरूरी है. इसके बिना बैंकों को अपने कर्ज पर जोखिम घटाना आसान नहीं होगा. वह भी ऐसे समय में जब लोन के विस्तार के लिए लगातार उपाय किए जा रहे हैं और इसकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है.