
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दुनिया के तमाम देशों के खिलाफ टैरिफ वॉर छेड़ रखा है. ट्रंप सरकार अमेरिकी प्रोडक्ट पर लगने वाले टैक्स को कम करने का दबाव लगातार डाल रहे हैं. साथ ही अमेरिकी उत्पादों के आयात को बढ़ाने की बात भी कर रहे हैं. कुछ दिनों पहले ही ट्रंप ने भारत के प्रोडक्ट पर 25 फीसद तक अतिरक्त टैरिफ लगाने का ऐलान किया था. इन सब घटनाक्रमों के बीच अब एक बड़ी खबर सामने आई है. भारत ने अमेरिका से एनर्जी इंपोर्ट को काफी बढ़ा दिया है. इस कदम को दोनों देशों के बीच ट्रेड बैलेंस की स्थिति बनाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है.
रिपोर्ट के अनुसार, डोनाल्ड ट्रंप के जनवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर वापसी के बाद भारत ने अमेरिका से ऊर्जा आयात में तेज़ी से इज़ाफा किया है. जनवरी से जून 2025 के दौरान भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 51% बढ़ाया है, जो दोनों देशों के बीच उभरती ऊर्जा साझेदारी को दर्शाता है. सूत्रों मानें तो यह बढ़त फरवरी 2025 में वाशिंगटन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुए समझौते का नतीजा है. इस समझौते के तहत भारत ने अमेरिकी ऊर्जा आयात को 15 अरब डॉलर से बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करने की बात कही थी. साथ ही दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 200 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है.
कच्चे तेल के आयात में भारी वृद्धि
वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत का अमेरिका से कच्चे तेल का आयात 114% बढ़कर 3.7 अरब डॉलर पहुंच गया, जो पिछले साल की समान अवधि में 1.73 अरब डॉलर था. जुलाई 2025 में यह रफ्तार और बढ़ी जब अमेरिका से कच्चे तेल का आयात जून की तुलना में 23% अधिक रहा. इससे अमेरिका का हिस्सा भारत के कुल कच्चे तेल आयात में 3% से बढ़कर 8% हो गया है.
भारत ने अमेरिका से तरल प्राकृतिक गैस (LNG) के आयात को भी तेजी से बढ़ाया है. फाइनेंशियल ईयर 2024-25 में एलएनजी आयात 1.41 अरब डॉलर से बढ़कर 2.46 अरब डॉलर हो गया. ICRA के वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रशांत वशिष्ठ के अनुसार, ‘अमेरिकी एलएनजी की कीमत हेनरी हब बेंचमार्क पर आधारित होने के कारण अन्य स्रोतों की तुलना में अधिक कॉम्पिटिटिव है. साथ ही अमेरिका में कई नए एलएनजी प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं, जिससे भारतीय कंपनियां लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए अमेरिका की ओर रुख कर रही हैं.’ ट्रंप प्रशासन ने सत्ता संभालते ही एलएनजी निर्यात लाइसेंस पर बाइडन सरकार द्वारा लगाई गई रोक को हटा दिया था. अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) का अनुमान है कि 2028 तक अमेरिका की एलएनजी निर्यात क्षमता दोगुनी हो जाएगी.
भविष्य की मांग और रणनीतिक साझेदारी
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) का अनुमान है कि 2030 तक भारत वैश्विक तेल मांग वृद्धि का सबसे बड़ा ड्राइवर बन जाएगा और एलएनजी की मांग 78% बढ़कर 64 अरब घन मीटर सालाना हो जाएगी. ऐसे में भारत की अमेरिकी ऊर्जा की ओर बढ़ती निर्भरता रणनीतिक दृष्टि से अहम है. सूत्रों के अनुसार, ‘लंबी अवधि के एलएनजी और कच्चे तेल अनुबंधों को लेकर भारतीय और अमेरिकी कंपनियों के बीच अरबों डॉलर के समझौते पर चर्चा चल रही है. भारत अमेरिका को अपनी ऊर्जा सुरक्षा का सबसे भरोसेमंद साझेदार मानता है.’
रूस पर चोट?
गौरतलब है कि रूस भारत का सबसे बड़ा एनर्जी एक्सपोर्टर है. हाल के दिनों में भारत ने रूस से पेट्रोलियम प्रोडक्ट की खरीद को काफी बढ़ाया था. लेकिन, बदले हालात में जब भारत अमेरिका से एनर्जी इंपोर्ट को बढ़ा रहा है तो इसका सबसे ज्यादा असर रूस पर पड़ सकता है. भारत का रूस से जारी तेल आयात अमेरिका के लिए चिंता का विषय बना हुआ है. ट्रंप प्रशासन ने भारत पर दबाव बढ़ाया है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कराने के लिए मॉस्को के साथ अपनी ऊर्जा साझेदारी पर पुनर्विचार करे. डोनाzल्ड ट्रंप और उनके मंत्रियों की ओर से भारत-रूस एनर्जी ट्रेड पर खुले तौर पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं.