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“उपराष्ट्रपति के लिए विपक्ष उतारेगा ‘दिग्गज’ उम्मीदवार, इस पार्टी का नहीं होगा चेहरा, क्या है पूरी प्लानिंग”

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“उपराष्ट्रपति के लिए विपक्ष उतारेगा ‘दिग्गज’ उम्मीदवार, इस पार्टी का नहीं होगा चेहरा, क्या है पूरी प्लानिंग”

INDIA गठबंधन ने तय किया है कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में एक ‘दिग्गज’ और प्रभावशाली उम्मीदवार उतारेगा, ताकि BJP को बिना मुकाबले जीत (वॉकओवर) का मौका न मिले।

गठबंधन का मानना है कि मौजूदा वक्त में जब संविधान पर हमला हो रहा है, तब चुनाव में सीधी टक्कर देना जरूरी है, भले ही आंकड़े उनके पक्ष में न हों। इतना ही नहीं इनपुट ये भी हैं कि आगामी उपराष्ट्रपति चुनाव में INDIA गठबंधन इस बार कांग्रेस का चेहरा न उतारने का फैसला लगभग तय कर लिया है। मकसद साफ है -सभी विपक्षी दलों को एकजुट करना और BJP के खिलाफ अधिकतम वोट जुटाना, जिसमें आम आदमी पार्टी (AAP) के कम से कम 11 वोट भी शामिल हैं।

कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति? रेस में इस नेता का नाम सबसे आगे, जल्द होगा बड़ा ऐलान यह फैसला लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के सरकारी आवास पर डिनर के बाद हुई क्लोज-डोर मीटिंग में लिया गया। बैठक में नेताओं ने कहा कि BJP की रणनीति पर नजर रखते हुए ऐसा उम्मीदवार सामने लाना चाहिए, जो न सिर्फ राजनीतिक रूप से मजबूत हो, बल्कि “आइडिया ऑफ इंडिया” की लड़ाई भी आगे बढ़ा सके।

राजनीति के बाहर से हो सकता है विपक्ष का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार!

चर्चा में यह भी राय बनी कि उम्मीदवार राजनीति से बाहर का कोई सम्मानित और पहचाना हुआ चेहरा हो सकता है। राहुल गांधी के अलावा बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, के.सी. वेणुगोपाल (कांग्रेस), अखिलेश यादव (सपा), उद्धव ठाकरे (शिवसेना-UBT), कनीमोझी (DMK), सुप्रिया सुले (NCP-SP), डेरेक ओ’ब्रायन (TMC) और एम.ए. बेबी (CPI-M) मौजूद थे।

हालांकि, डिनर में शामिल सभी नेता उपराष्ट्रपति चुनाव पर हुई चर्चा में मौजूद नहीं थे। चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति के चुनाव की अधिसूचना जारी कर दी है और नामांकन की आखिरी तारीख 21 अगस्त है।

कौन बनेगा विपक्ष का उपराष्ट्रपति उम्मीदवार? कैसे नेता को INDIA ब्लॉक करेगी आगे? मंथन जारी

पिछली गलती से सबक राहुल गांधी की डिनर बैठक में शामिल एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने कहा, “हम पिछली बार की गलती दोहराना नहीं चाहते”। यह इशारा 2022 के उपराष्ट्रपति चुनाव की ओर था, जब विपक्ष ने कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मार्गरेट अल्वा को उम्मीदवार बनाया था। उस समय संसद में दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी टीएमसी ने कांग्रेस उम्मीदवार का समर्थन करने से मना कर दिया था।

TMC का रुख और बाकी दलों की स्थिति हिन्दुस्तान टाइम्स के सूत्रों के मुताबिक, इस बार चर्चा के दौरान टीएमसी ने भी साफ किया कि वह अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी। 24 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए INDIA गठबंधन “सामूहिक रूप से फैसला” करेगा। बैठक में खड़गे ने यह मुद्दा उठाया और सभी दलों की राय जानी।

सभी नेताओं की सहमति थी कि गठबंधन को चुनाव लड़ना चाहिए, भले ही NDA के पास पर्याप्त संख्या बल हो। विपक्ष का मानना है कि “BJP को वॉकओवर नहीं देना चाहिए और वैचारिक आधार पर लड़ाई लड़नी चाहिए”।

उपराष्ट्रपति के लिए कांग्रेस उम्मीदवार क्यों नहीं?

एक वरिष्ठ विपक्षी नेता ने साफ कहा कि AAP के 11 सांसद (स्वाति मालीवाल को छोड़कर) कांग्रेस उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे। इसके अलावा संभावित सहयोगी बीजेडी और वाईएसआरसीपी भी कांग्रेस उम्मीदवार के साथ नहीं आएंगे। दूसरी ओर, TMC उम्मीदवार का भी रास्ता आसान नहीं है, क्योंकि वाम दलों के 16 सांसद किसी भी हालत में TMC उम्मीदवार को वोट नहीं देंगे।

कैसा होगा विपक्ष का उपराष्ट्रपति चेहरा?

अब गठबंधन के सामने दो विकल्प खुले हैं – या तो किसी राजनीतिक दल के नेता को उतारा जाए, या फिर संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले किसी सामाजिक रूप से प्रभावशाली चेहरे को मैदान में लाया जाए।

राहुल गांधी की डिनर बैठक और में क्या-क्या हुआ?

करीब 25 दलों के 50 नेताओं के साथ हुए डिनर में राहुल गांधी ने “वोट चोरी” पर एक प्रेजेंटेशन दिया, जो कर्नाटक के एक विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की जांच के नतीजों पर आधारित था।

तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष संशोधन (SIR) को लेकर “धांधली” के आरोप लगाए और सभी नेताओं को 1 सितंबर को पटना में होने वाले विरोध कार्यक्रम में शामिल होने का न्योता दिया।

इस विरोध कार्यक्रम की शुरुआत 10 अगस्त को होगी, जिसमें राहुल गांधी, तेजस्वी यादव और CPI(ML)L सहित सहयोगी दलों के नेता पदयात्रा करेंगे। वहीं, के.सी. वेणुगोपाल ने बताया कि 11 अगस्त को सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग तक मार्च करेगा।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने का मुद्दा जोर-शोर से उठाया। उन्होंने राज्य से जुड़े चार राज्यसभा पदों को भरने में हो रही देरी और दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव न कराने पर भी सवाल उठाया।

बैठक में कांग्रेस के तीन मुख्यमंत्री – सिद्धारमैया, सुखविंदर सिंह सुक्खू और ए. रेवंत रेड्डी – के अलावा टी.आर. बालू, कमल हासन, महबूबा मुफ्ती, डी. राजा, दीपांकर भट्टाचार्य और जी. देवराजन जैसे नेता भी मौजूद रहे।