Modi ने Amit Shah और Rajnath Singh को सौंपी बड़ी जिम्मेदारी, आने वाले दिनों में देश में दिखेंगे कई बड़े बदलाव”
भारत सरकार ने आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में व्यापक सुधारों की दिशा में दो नए अनौपचारिक मंत्रियों के समूह (iGoMs) का गठन किया है। इन समूहों का नेतृत्व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे।
हम आपको बता दें कि इन समितियों का गठन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस भाषण के बाद हुआ है जिसमें उन्होंने “2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने” के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए 21वीं सदी के अनुरूप नए कानूनों, नीतियों और प्रक्रियाओं की आवश्यकता पर बल दिया था।
हम आपको बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाले 13 सदस्यीय समूह में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और रेलवे, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव (समूह के संयोजक) जैसे वरिष्ठ मंत्री सम्मिलित किये गये हैं। इस समूह का कार्यक्षेत्र वित्त, उद्योग, वाणिज्य, अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स, विज्ञान-प्रौद्योगिकी और सुशासन जैसे क्षेत्रों में विधायी और नीतिगत सुधारों की रूपरेखा तैयार करना होगा। इस मंत्री समूह का विशेष ध्यान अनुपालन भार कम करने, रोजगार सृजन, उत्पादकता वृद्धि और पुराने अवरोधक ढाँचों को हटाने पर होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव को राष्ट्रवाद बनाम धर्मनिरपेक्षता की सियासी लड़ाई बनाने के रणनीतिक मायने वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाला 18 सदस्यीय समूह शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, कौशल विकास, सामाजिक कल्याण, आवास, श्रम और सार्वजनिक स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सुधारों की संभावना तलाशेगा। इस समिति में सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और श्रम एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया (समूह संयोजक) प्रमुख सदस्य हैं। यह समूह कानूनी सुधार, संस्थागत ढाँचे में सुधार और बहुस्तरीय (केंद्र, राज्य, नगरीय निकाय) सुधारों की सिफारिश करेगा।
बताया जा रहा है कि दोनों समूहों को हर महीने प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी और तीन महीने के भीतर एक समेकित सुधार रोडमैप सौंपना होगा। इन दोनों समूहों को वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों का विभाग सचिवालयीय सहयोग देगा। समूहों को विशेषज्ञों और अन्य मंत्रियों को आमंत्रित करने की स्वतंत्रता होगी। बताया जा रहा है कि इन मंत्री समूहों से केवल परामर्शात्मक भूमिका निभाने की अपेक्षा नहीं है, बल्कि कार्यान्वयन योग्य सुधार योजनाएँ तैयार करने और उनके मापन योग्य परिणाम तय करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
देखा जाये तो पिछले कुछ वर्षों में गृहमंत्री अमित शाह की भूमिका केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं रही है, बल्कि वह कई बार आर्थिक मामलों में भी निर्णायक भूमिका निभा चुके हैं। जीएसटी सुधार में राज्यों व केंद्र के बीच सहमति बनाने में भी उनकी सक्रिय भागीदारी रही है। मुद्रास्फीति और खाद्य पदार्थों की कीमतों पर बैठकों की अध्यक्षता भी उन्होंने की है। ऑनलाइन गेमिंग पर प्रतिबंध संबंधी विधेयक तैयार करने में भी गृह मंत्रालय को प्रमुख शक्ति के रूप में देखा गया, जबकि आईटी मंत्रालय ने इसका प्रारूप तैयार किया था।
हम आपको बता दें कि इन समितियों की संरचना इस बात को दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्णय लेने में तेजी और बाधाओं को दूर करने को प्राथमिकता देना चाहते हैं। विभिन्न मंत्रालयों के प्रतिनिधियों को जोड़कर यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि सुधार प्रस्ताव नीति-निर्धारण से सीधे क्रियान्वयन तक शीघ्र पहुँचें।
बहरहाल, इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत की वर्तमान प्रशासनिक एवं आर्थिक संरचना में कई पुरानी नीतियाँ और नियम आज की आवश्यकताओं के अनुरूप नहीं हैं। इन नए iGoMs का उद्देश्य न केवल सुधार सुझाना है बल्कि “कार्यान्वित करने योग्य बदलाव” प्रस्तुत करना भी है। यह कदम शासन तंत्र को अधिक उत्तरदायी, पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयोग है। यदि मंत्री समूह व्यावहारिक समाधान प्रस्तुत करते हैं, तो यह भारत के विकसित राष्ट्र 2047 के लक्ष्य की दिशा में एक ठोस कदम सिद्ध होगा।