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“ट्रंप को टक्कर देगा भारत-चीन का गठजोड़! अमेरिका की AI पावर को चुनौती देने के ल‍िए होने जा रहा कुछ बड़ा”

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“ट्रंप को टक्कर देगा भारत-चीन का गठजोड़! अमेरिका की AI पावर को चुनौती देने के ल‍िए होने जा रहा कुछ बड़ा”

India China AI Plan: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीति ने भारत और चीन की टेंशन बढ़ा दी है। ट्रंप ने तकनीक के मामले में चीन को पछाड़ने के लिए और अमेरिका को ग्लोबल लीडर बनाने के लिए AI एक्शन प्लान की घोषणा भी की थी

अब चीन को ऐसे टाइम पर भारत के समर्थन की जरूरत है। चीन चाहता है कि इस टेक वॉर में भारत उसका साथ दे। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत AI के सेक्टर में चीन का बाहर से समर्थन कर सकता है, भले ही भारत चीन द्वारा बनाए जाने वाले वैश्विक संगठन का हिस्सा ना हो।

भारत समर्थन देगा, लेकिन बाहर रहकर रिपोर्ट में बताया गया है कि मुमकिन है कि भारत चीन के उस प्रस्ताव को सावधानीपूर्वक समर्थन दे, जिसमें एक वैश्विक संगठन बनाकर AI पर सहयोग और कंट्रोल की बात कही गई है। भारत इस संगठन में औपचारिक तौर पर शामिल नहीं होगा, लेकिन बातचीत में हिस्सा ले सकता है।

भारत इस प्रस्ताव पर पूरी तरह से सहमति जताए बगैर AI पर वैश्विक चर्चा को बढ़ावा दे सकता है। यह खबर ऐसे समय पर आई है, जब Shanghai Cooperation Organisation (SCO) के शिखर सम्मेलन में AI नियंत्रण पर चर्चा होने की उम्मीद है। इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच मुलाकात होगी।

अधिकारी ने बताई अंदर की बात एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, हमारा लक्ष्य ऐसी व्यवस्था बनाना है जो टिकाऊ और सभी के लिए एक जैसी हो। इसके लिए हमें मानक तय करने होंगे। भले ही हम WICO में शामिल न हों, हम AI पर खुली बातचीत को बढ़ावा दे सकते हैं।

अगले साल फरवरी में भारत की राजधानी नई दिल्ली में AI इम्पैक्ट समिट होने जा रहा है। इसमें भारत AI के सेक्टर में अपनी नेतृत्व क्षमता को दुनिया के सामने रखेगा।

अमेरिका की AI नीति का विकल्प चीन ने जुलाई 2025 में अपनी सबसे बड़ी AI कॉन्फ्रेंस में WICO की शुरुआत की। इस संगठन का लक्ष्य ओपन-सोर्स AI को बढ़ावा देना, तकनीक को साझा करना और चिप की कमी को दूर करना है। भारत का मानना है कि WICO जैसे मंचों के जरिए अमेरिका के मुकाबले AI नीतियों पर दूसरा विकल्प बनाया जा सकता है। भारत और चीन ने 58 देशों के साथ मिलकर पेरिस में हुए समिट में एक घोषणापत्र भी साइन किया था। इसमें डिजिटल विभाजन को कम करने और AI के विकास की बात थी। अमेरिका और ब्रिटेन ने इस समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किए थे।