हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच एक नई डिफेंस डील हुई है, इस समझौते पर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने रियाद में हस्ताक्षर किए हैं.
इस डील का मकसद दोनों देशों को एक-दूसरे के खिलाफ किसी भी बाहरी हमले के खिलाफ मिलकर खड़ा होना बताकर सुरक्षा का मजबूत गठबंधन बनाना है.
इस डिफेंस डील पर भारत का जवाब भारत ने इस नई डिफेंस डील पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत इस समझौते के असर और इसके क्षेत्रीय माहौल पर पड़ने वाले प्रभावों को गंभीरता से देख रहा है. उन्होंने बताया कि भारत बारीकी से समझेगा कि इस डील के राष्ट्रीय सुरक्षा और व्यापक क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या असर पड़ेगा. जायसवाल ने यह भी कहा कि भारत की प्राथमिकता अपनी सुरक्षा को मजबूत बनाना और देश के हितों की रक्षा करना है.
यह समझौता इस लिहाज से खास है कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में हुए सैन्य तनाव के कुछ महीनों बाद आया है. भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चले इस तनावपूर्ण टकराव ने क्षेत्र में शांति की नाजुक स्थिति को साफ दिखाया था. ऐसे में पाकिस्तान का सऊदी अरब के साथ इस तरह का मजबूत सुरक्षा गठबंधन बनाना भारत के लिए चिंता का विषय बन सकता है.
पूरे दक्षिण एशिया पर हो सकता है असर माना जा रहा है कि पाकिस्तान के रक्षा संबंधों में किसी भी बड़े बदलाव का असर पूरे दक्षिण एशिया के रणनीतिक और कूटनीतिक वातावरण पर पड़ सकता है. सऊदी अरब का पाकिस्तान के साथ इस तरह का गहरा रक्षा सहयोग क्षेत्रीय ताकतों के बीच नई कूटनीतिक चालें हो सकती हैं.
सऊदी अरब और पाकिस्तान के इस समझौते को लेकर भारत ने अभी सीमित लेकिन स्पष्ट रुख अपनाया है. सरकार की कोशिश है कि वे इस समझौते के हर पहलू को ध्यान से देखें और आवश्यक कदम उठाएं, ताकि क्षेत्र में स्थिरता बनी रहे और किसी भी तरह की सुरक्षा चुनौती से निपटा जा सके.