केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हो रहे व्यक्तिगत हमलों को लेकर विपक्षी दलों पर कड़ा प्रहार किया है। शाह ने कहा कि यह “घटिया स्तर की राजनीति” है, जो भारतीय लोकतंत्र की जड़ों को दीमक की तरह खोखला कर रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की राजनीति करने वाले नेताओं को जनता चुनाव में सबक सिखाए। नेटवर्क18 को दिए एक इंटरव्यू में अमित शाह से पूछा गया कि एक ओर पीएम मोदी की लोकप्रियता और वैश्विक नेताओं के साथ उनका तालमेल है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी नेता लगातार उन पर अपशब्दों का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस पर शाह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजनीति सिद्धांतों और नीतियों से हटकर व्यक्तिगत हमलों तक सिमट गई है।
उन्होंने कहा – “अगर किसी व्यक्ति ने भ्रष्टाचार किया है तो यह निजी मामला नहीं है, यह सार्वजनिक मामला है और विपक्ष का कर्तव्य है कि वह इसे उजागर करे। लेकिन जब उन्हें प्रधानमंत्री मोदी पर भ्रष्टाचार का एक भी सबूत नहीं मिलता तो वे गाली-गलौज और यहां तक कि मोदी जी की मां पर टिप्पणी करने तक उतर आते हैं। यह लोकतांत्रिक राजनीति को कमजोर करता है।”
संसद को बताया “सबसे बड़ी पंचायत” अमित शाह ने संसद की महत्ता पर भी जोर दिया और कहा कि यह भारत की “सबसे बड़ी पंचायत” है, जहां सत्तारूढ़ दल और विपक्ष को राष्ट्रीय मुद्दों पर सिद्धांत और नीतियों के आधार पर बहस करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्षी सांसद इसके उलट काम करते हैं और शुरुआत से ही सदन की कार्यवाही बाधित करने की कोशिश करते हैं।
शाह ने कहा – “वंदे मातरम गाते समय भी ये लोग हंगामा करते हैं और बाद में दावा करते हैं कि उन्हें बोलने का मौका नहीं मिला। स्पीकर द्वारा समय दिए जाने के बावजूद विपक्षी सदस्य सदन से वॉकआउट कर जाते हैं। संसद किसी फ्रीस्टाइल तरीके से नहीं चल सकती, इसके अपने नियम और अनुशासन होते हैं।”
“नियमों से चलता है संसद गृह मंत्री ने याद दिलाया कि संसद का अनुशासन पंडित नेहरू और इंदिरा गांधी के समय से ही कायम रहा है। उन्होंने कहा – “राहुल गांधी के परदादा और दादी के समय से संसद नियमों के आधार पर चलती है। एक आदर्श सांसद वही है, जो उन्हीं नियमों के तहत अपनी बात रखे।”
शाह ने कहा कि जनता को यह तय करना होगा कि संसद का समय सिर्फ राजनीतिक नौटंकी में बर्बाद होना चाहिए या फिर सुरक्षा, विकास, रोजगार, उद्योग नीति और गरीबों के कल्याण जैसे गंभीर मुद्दों पर बहस होनी चाहिए।
हम विपक्ष में रहे, फिर भी किया संवाद अमित शाह ने बताया कि भाजपा जब दस साल तक विपक्ष में थी, तो सरकार का विरोध करते हुए भी मुद्दों पर बहस करती थी। उन्होंने कहा – “हम भी शुरुआत में एक-दो दिन विरोध करते थे ताकि मुद्दा उठे, लेकिन उसके बाद हम बहस करते थे। अगर सरकार नहीं मानती थी तो हम कोर्ट जाते थे और जांच की मांग करते थे। कई बार कोर्ट ने हमारी अपील पर जांच बैठाई। लेकिन आज का विपक्ष न बहस करना चाहता है और न ही संवैधानिक रास्ता अपनाता है। ये लोग सिर्फ सड़क पर रहना चाहते हैं और जनता ने भी इन्हें वहीं रखा है।