अमेरिका ने दावा किया है कि H-1B नॉन-इमिग्रेंट वीजा प्रोग्राम जानबूझकर अमेरिकी कर्मचारियों की जगह कम वेतन और कम स्किल वाले विदेशी कर्मचारियों को काम पर लगाने के लिए इस्तेमाल किया गया है बजाय इसके कि अमेरिकी कर्मचारियों की सहायता के लिए हो.
इसके चलते अमेरिका ने H-1B वीजा की फीस $1,00,000 तक बढ़ा दी है. भारत की IT कंपनियां जिनके अमेरिका में ऑफिस हैं (जैसे HCL America, Tech Mahindra Americas, TCS आदि), जो अमेरिका में काम करती हैं लेकिन कम लागत पर टैलेंट पाने के लिए बाहर से कर्मचारियों को लाती हैं, अब इस फैसले का सीधा असर महसूस करेंगी.
वीजा फीस बढ़ोतरी के असर का असर भारत के IT शेयरों पर भी दिखा. सोमवार को Nifty IT Index लगभग तीन प्रतिशत गिर गया. अमेरिका में Infosys, TCS, HCL, LTIMindtree, Wipro, Tech Mahindra और L&T Technology Services जैसी कंपनियों की H-1B वीजा में अग्रणी स्थिति है. FY24 में Infosys ने 8,137 जबकि TCS ने 7,566 H-1B वीजा हासिल किए.
एमके ग्लोबल की चीफ इकोनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा के अनुसार फाइनेंशियल इयर (FY) 25 में भारत के IT/सॉफ्टवेयर नेट एक्सपोर्ट्स $160 बिलियन थे और हमने FY26 में नेट IT सर्विसेज एक्सपोर्ट्स में पांच प्रतिशत की वृद्धि मान ली थी, अगले पांच सालों के लिए सात प्रतिशत कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट अनुमानित थी. अगर H-1B वीजा से जुड़ी समस्याएं लगातार बनी रहती हैं, GCC का विकास अलग रहता है और IT कंपनियां नए ग्रोथ मॉडल अपनाती हैं तो ये वृद्धि चार प्रतिशत से कम हो सकती है.
सिर्फ नुकसान नहीं है… कंपनियां अमेरिका में विदेशी कर्मचारियों को इसलिए काम पर रखती हैं क्योंकि उन्हें प्रतिस्पर्धात्मक फायदा होता है. H-1B वीजा की इतनी अधिक कीमत सिर्फ कर्मचारियों को ही नुकसान नहीं पहुंचाएगी, बल्कि नियोक्ताओं को भी और अंततः उनकी प्रॉफिट और उन प्रॉफिट पर अमेरिका को मिलने वाले टैक्स पर भी असर होगा.
एमके ग्लोबल के अनुसार भारत और चीन सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की सबसे बड़ी और सस्ती टैलेंट पूल प्रदान करते हैं. जबकि चीन में लगभग 32.5 लाख सॉफ्टवेयर इंजीनियर उपलब्ध हैं, भारत में 30 लाख हैं. इसके मुकाबले अमेरिका में लगभग आधे, यानी 15 लाख सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. ब्राजील, कनाडा, यूके और जापान इस लिस्ट में इसके बाद आते हैं.
भारत सरकार ने आश्वासन दिया है कि वह इस मामले को देखेगी और किसी समझौते तक पहुंचेगी. विदेश मंत्रालय ने कहा कि स्किल्ड टैलेंट की मोबिलिटी और एक्सचेंज ने अमेरिका और भारत में तकनीकी विकास, इनोवेशन, आर्थिक विकास, प्रतिस्पर्धा और धन सृजन में बहुत योगदान दिया है. इसलिए नीति निर्धारक हाल के कदमों का आकलन करेंगे, जिसमें दोनों देशों के बीच स्ट्रांग पीपल टू पीपल संबंध भी शामिल हैं.