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“ये कनाडा का सिरदर्द है, भारत का नहीं; खालिस्तानियों पर भारतीय राजनयिक की दो टूक; ट्रूडो को भी संदेश”

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कनाडा में भारत के नए उच्चायुक्त दिनेश पटनायक ने साफ तौर पर कहा है कि कनाडा की धरती पर सक्रिय खालिस्तानी समूहों से उत्पन्न खतरा वहां के लिए घरेलू चुनौती हैं, न कि भारतीय सरजमीं के लिए वह चुनौती हैं।

कनाडा के टीवी चैनल CTV न्यूज को दिए एक खास इंटरव्यू में पटनायक ने जस्टिन ट्रूडो के कार्यकाल में भारतीय राजनयिकों को खालिस्तानी आपराधिक गतिविधियों से जोड़ने के आरोपों को भी खारिज कर दिया और उसे बेतुका करार दिया।

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में कनाडा का विदेश मंत्री अनीता आनंद ने भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। दोनों पक्षों ने एक संयुक्त बयान जारी कर व्यापार और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया है। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए आनंद ने कहा था कि जन सुरक्षा “कनाडा सरकार की पहली और सर्वोच्च प्राथमिकता” बनी हुई है। उन्होंने कनाडा की धरती पर किए गए अपराधों की स्वतंत्र कानूनी जाँच की जरूरत का मुद्दा भी उठाया था।

कनाडाई विदेश मंत्री के भारत दौरे पर सिख संघों की नाराजगी

उनकी यात्रा के बाद, कनाडा के सिख संघ ने ओटावा पर सामुदायिक सुरक्षा को सौदेबाजी के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। संघ के अध्यक्ष मोनिंदर सिंह ने कहा, “खालिस्तानियों को भारतीय एजेंटों से लगातार खतरों का सामना करते हुए आर्थिक और राजनयिक संबंधों को गहरा करना जिम्मेदार कूटनीति नहीं है।”

इन सबके बीच, पटनायक ने कहा कि ओटावा और नई दिल्ली के बीच हालिया चर्चा “संपूर्ण सुरक्षा स्थिति” पर केंद्रित रही है, जिसमें खालिस्तानी समूहों का प्रभाव भी शामिल है। उन्होंने कहा, “हम अभी इस देश में हो रहे विभिन्न सुरक्षा परिदृश्यों पर बात कर रहे हैं।” जब उनसे पूछा गया कि ऐसे सुरक्षा परिदृश्य जहाँ लोगों का एक समूह वास्तव में आतंक फैला रहा है, रिश्तों को बंधक बना रहा है। तो उनसे कैसे निपटेंगे?

व्यक्तिगत सुरक्षा के मुद्दे पर जताई निराशा

इस पर पटनायक ने दो टूक कहा कि ‘यह कोई भारतीय समस्या नहीं है’। उन्होंने तर्क दिया कि खालिस्तान का मुद्दा केवल भारत की जिम्मेदारी नहीं है। उन्होंने कहा, “कनाडा इस स्थिति को भारतीय समस्या के रूप में नहीं देख सकता। यह कनाडा की समस्या है। कुछ कनाडाई लोग ही इस समस्या को पैदा कर रहे हैं।” पटनायक ने अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के मुद्दे पर भी निराशा जताई। खालिस्तानी चरमपंथियों से कथित धमकियों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, “मुझे यह अजीब लगता है कि यहाँ एक उच्चायुक्त को सुरक्षा में रहना पड़ता है। मैं सुरक्षा में हूँ। मुझे ऐसे देश में सुरक्षा में नहीं रहना चाहिए।” पटनायक ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच व्यापक बातचीत में “भारत में कनाडाई लोगों की सुरक्षा” भी शामिल है, और इस बात पर जोर दिया कि सुरक्षा सहयोग पारस्परिक है।

2023 में भारत-कनाडा में बढ़ा तनाव

बता दें कि 2023 में कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों और राजनयिकों की भूमिका का आरोप लगाते हुए संसद में कहा था कि उनके पास विश्वसनीय सबूत हैं लेकिन उसका कोई ठोससबूत नहीं दे पाए थे। भारत ने उनके आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें निराधार बताया था। उसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते बेपटरी हो गए थे, जो अब धीरे-घीरे सामान्य हो रहे हैं।