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1.2 अरब डॉलर वसूलने के लिए केयर्न एनर्जी ने Air India को अमेरिकी कोर्ट में घसीटा,

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भारत सरकार से 1.2 अरब डॉलर वसूलने के लिए केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) ने एयर इंडिया (Air India) को अमेरिका की कोर्ट में घसीटा है. एयर इंडिया पर अमेरिकी कोर्ट में मुकदमा दर्ज कारने के पीछे केयर्न एनर्जी का मकसद भारत सरकार पर भुगतान के लिए दबाव बनाना है. रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में भारत सरकार ने केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर का भुगतान नहीं किया है. केयर्न ने शुक्रवार को न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट की अदालत में Air India की संपत्ति को जब्त करने के लिए मुकदमा दायर किया है. मालूम हो रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स मामले में इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल (International Arbitration Tribunal) ने दिसंबर 2020 में ब्रिटेन की तेल कंपनी केयर्न एनर्जी (Cairn Energy) के पक्ष में फैसला सुनाया था. मध्यस्थता अदालत ने इस मामले में भारत सरकार को केयर्न एनर्जी को 1.2 अरब डॉलर चुकाने की आदेश दिया था, टैक्स विवाद (Tax Dispute) के इस मामले में मध्यस्थता अदालत ने भारत सरकार को 1.2 बिलियन डॉलर के अलावा इंटरेस्ट और पेनाल्टी की रकम चुकाने का आदेश दिया था, जिससे यह रकम बढ़कर 1.4 बिलियन डॉलर से अधिक हो गई. आपको बता दे कि टैक्स विवाद में भारत सरकार ने वर्ष 2006-07 में केयर्न इंडिया की 10% हिस्सेदारी जब्त कर ली थी.

केयर्न एनर्जी ने अपनी शिकायत में कहा है कि एयर इंडिया भारत की सरकारी एयरलाइन कंपनी है. इसलिए भारत सरकार पर उसका बकाया राशि एयर इंडिया से वसूला जाना चाहिए. इस मामले में भारत सरकार और एयर इंडिया को अभी कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है.

सरकार ने विदेशी करेंसी अकाउंट्स से पैसा निकालने को कहा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इससे पहले केंद्र सरकार ने PSU Banks से कहा था है कि वे अपने विदेशी करेंसी अकाउंट्स से पैसे निकाल लें. सरकार को डर है कि आर्बिट्रेशन के फैसले के बाद केयर्न एनर्जी इन बैंकों का कैश सीज करने की कोशिश कर सकती है. भारत सरकार ने International Arbitration Tribunal के फैसले को इंटरनेशनल कोर्ट में चुनौती दी है.

केयर्न ने शुरू भारत सरकार की संपत्ति की पहचान करना

कहा जा रहा है कि केयर्न एनर्जी ने विदेश में भारत सरकार की संपत्ति की पहचान शुरू कर दी है. इनमें सरकारी बैंकों के विदेशी अकाउंट्स भी शामिल हैं. आपको बता दें कि केयर्न 21 दिसंबर के International Arbitration Tribunal के फैसले को लेकर भारत के खिलाफ अमेरिका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, कनाडा, फ्रांस, सिंगापुर, क्यूबेक की अदालतों में पहले अपील दायर कर चुकी है.