नई ताक़त, नया भारत, तीसरी ओर अंतरिक्ष विज्ञान में विश्वस्तरीय छलांग, दुनिया की महाशक्तियों को सीधी चुनौती…
21वीं सदी का भारत अब सिर्फ उभरती अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक शक्ति बन चुका है। एक तरफ रिकॉर्ड आर्थिक वृद्धि, दूसरी तरफ आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन, और तीसरी ओर अंतरिक्ष विज्ञान में विश्वस्तरीय छलांग।
इन तीनों मोर्चों पर भारत ने न केवल उपलब्धियाँ दर्ज की हैं, बल्कि अब वह दुनिया की महाशक्तियों को सीधी चुनौती भी दे रहा है।
आर्थिक मोर्चे पर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत भारत की अर्थव्यवस्था 2025 की दूसरी तिमाही में $4.2 ट्रिलियन को पार कर चुकी है, जिससे वह जापान को पीछे छोड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हालिया रिपोर्टों में भारत की GDP ग्रोथ 7.8% आंकी गई है, जो दुनिया के बड़े देशों में सबसे तेज़ है। स्टार्टअप इकोसिस्टम में भारत अब अमेरिका और चीन के बाद तीसरे स्थान पर है। जबकि डिजिटल भुगतान, AI, ग्रीन एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग में भारत ने वैश्विक निवेशकों का ध्यान खींचा है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियानों ने घरेलू उत्पादन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।
डिफेंस: आत्मनिर्भर भारत की सैन्य शक्ति एक समय में रक्षा उपकरणों के लिए विदेशों पर निर्भर रहने वाला भारत, आज खुद लड़ाकू विमान, ड्रोन, पनडुब्बियाँ और मिसाइल सिस्टम बना रहा है। तेजस फाइटर जेट, अग्नि-5 मिसाइल और INS विक्रांत जैसे प्रोजेक्ट भारत की आत्मनिर्भरता का प्रतीक हैं। रक्षा निर्यात 2024-25 में ₹21,000 करोड़ को पार कर गया, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप मॉडल और निजी क्षेत्र की भागीदारी से रक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व नवाचार हो रहे हैं। भारत अब एक आयातक नहीं, निर्यातक रक्षा शक्ति बन रहा है।
अंतरिक्ष: चंद्रयान से लेकर गगनयान तक का सफर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने दुनिया को फिर चौंकाया है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब गगनयान की तैयारी जोरों पर है। 2025 के अंत तक भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन प्रस्तावित है। Aditya L1 मिशन ने सूर्य के रहस्यों को जानने की नई शुरुआत की है। जबकि भारत अब कॉमर्शियल सैटेलाइट लॉन्चिंग का हब बनता जा रहा है। छोटे देशों के लिए ISRO सबसे भरोसेमंद साझेदार बन चुका है।