लगभग 11 महीने पहले कनाडा की नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) नथाली ड्रौइन और डिप्टी विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने आरोप लगाया था कि कनाडा में खालिस्तानी आतंकियों को निशाना बनाने के पीछे भारत के गृहमंत्री अमित शाह का हाथ है।
अब यही दोनों अधिकारी भारत आए और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल तथा विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की। इतना ही नहीं, कनाडाई अधिकारियों ने इस मुलाकात के दौरान द्विपक्षीय संवाद तंत्र को फिर से सक्रिय करने के कदमों पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने शुक्रवार को जानकारी देते हुए कहा, “कनाडा की NSA ने हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के साथ वार्ता की। यह बैठक 18 तारीख को हुई। यह दोनों देशों के बीच नियमित सुरक्षा परामर्श का हिस्सा है। साथ ही यह जी7 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के बीच मुलाकात के बाद हुई चर्चाओं को आगे बढ़ाने का अवसर भी था।”
विवाद का केंद्र क्या है? 29 अक्टूबर 2024 को ड्रौइन और मॉरिसन ने स्वीकार किया था कि उन्होंने अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट को एक जानकारी लीक की थी। इन्होंने अखबार से कहा था कि खालिस्तानियों को निशाना बनाए जाने के लिए चलाए जा रहे अभियान के पीछे अमित शाह का हाथ है। मॉरिसन ने कनाडाई संसद की राष्ट्रीय सुरक्षा समिति को बताया था कि उन्होंने अखबार को अमित शाह का नाम “कन्फर्म” किया था। ये दोनों ही उस समय तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो की सरकार का हिस्सा थे। भारत ने 2 नवंबर 2024 को कड़ा विरोध जताते हुए इन आरोपों को “निराधार और बेतुका” करार दिया था।
भारत-कनाडा संबंधों में तनाव की असली शुरुआत सितंबर 2024 में हुई थी, जब तत्कालीन पीएम जस्टिन ट्रूडो ने यह आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकार की “संभावित भूमिका” हो सकती है। भारत ने इसे “बेतुका और प्रेरित” बताया था।
जी7 और हालिया वार्ता भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि जी7 सम्मेलन के दौरान मॉरिसन ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से मुलाकात की थी, जिसके बाद पीएम मोदी और पीएम मार्क कार्नी की बैठक हुई। चर्चाओं में द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा और अंतरराष्ट्रीय व क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ। दोनों पक्षों ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-कनाडा संबंध साझा लोकतांत्रिक मूल्यों, कानून के शासन के सम्मान और संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धांतों पर आधारित हैं।
दोनों देशों ने जून 2025 से अब तक हुई प्रगति का स्वागत किया, जिसमें एक-दूसरे की राजधानियों में हाई कमिश्नरों की वापसी शामिल है। समझौते के तहत दोनों देशों ने संतुलित और रचनात्मक साझेदारी को आगे बढ़ाने, और व्यापार, रक्षा, ऊर्जा, परमाणु सहयोग, सुरक्षा व कानून प्रवर्तन, क्रिटिकल मिनरल्स, अंतरिक्ष, विज्ञान व प्रौद्योगिकी और कृषि जैसे क्षेत्रों में संवाद तंत्र को फिर से सक्रिय करने पर सहमति जताई।
भारतीय मिशनों की सुरक्षा पर चिंता MEA प्रवक्ता ने कनाडा में भारतीय मिशनों को निशाना बनाने वाली खालिस्तानी गतिविधियों पर कहा, “यह जिम्मेदारी मेजबान सरकार की है कि जहां भी हमारे राजनयिक प्रतिष्ठान हैं, उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। जब भी कोई चिंता होती है, हम कनाडा सरकार के साथ इस विषय को उठाते हैं ताकि हमारे राजनयिक परिसरों की पर्याप्त सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।” भारत और कनाडा के बीच हालिया संवाद ने संकेत दिया है कि दोनों देश पिछले विवादों को पीछे छोड़कर सहयोग और विश्वास बहाली की दिशा में ठोस कदम बढ़ा रहे हैं।