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“H-1B वीजा नियमों में बदलाव से अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर क्या और कैसे पड़ेगा असर ?”

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अमेरिकी सरकार ने H-1B वीज़ा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए नए आवेदनों पर 1 लाख अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की है। हालांकि यह शुल्क सीधे तौर पर पहले से अमेरिका में काम कर रहे H-1B वीज़ा धारकों पर लागू नहीं होता, लेकिन इसके प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष असर अमेरिका में रह रहे भारतीयों पर महसूस होंगे।

मौजूदा वीज़ा धारकों के लिए वित्तीय राहत

जिन भारतीयों का H-1B वीज़ा पहले से वैध है, उन्हें नया शुल्क नहीं देना होगा, इसका मतलब है कि मौजूदा कर्मचारियों की अमेरिका में नौकरी और यात्रा पर फिलहाल कोई अतिरिक्त वित्तीय दबाव नहीं पड़ेगा। इससे परिवार और व्यक्तिगत खर्च पर तत्काल कोई असर नहीं आएगा।

यात्रा और वीज़ा नवीनीकरण में सावधानी

अमेरिका में रहने वाले भारतीयों को यात्रा करते समय और वीज़ा नवीनीकरण के समय अधिक सतर्क रहना होगा। एयरपोर्ट पर और कांसुलेट में वीज़ा की वैधता और दस्तावेजों की जाँच गहन हो सकती है। यदि वीज़ा की अवधि समाप्त होने वाली है, तो समय पर नवीनीकरण और स्टैम्पिंग करना जरूरी होगा।

नौकरी और करियर पर अप्रत्यक्ष असर

नए नियमों के कारण अमेरिकी कंपनियाँ अब केवल अत्यंत आवश्यक और उच्च कौशल वाले कर्मचारियों को ही स्पॉन्सर करेंगी। इसका मतलब है कि मौजूदा कर्मचारियों के लिए कंपनी की हायरिंग नीति बदल सकती है, जैसे नई नियुक्तियाँ सीमित करना या अधिक ऑनसाइट कर्मचारियों को प्राथमिकता देना। कुछ कंपनियाँ अपने कर्मचारियों को लंबे समय तक अमेरिका में रहने की सलाह दे सकती हैं ताकि बार-बार आने-जाने से जुड़े जोखिम कम हों।

परिवार और व्यक्तिगत जीवन पर असर

यदि परिवार के अन्य सदस्य वीज़ा के माध्यम से अमेरिका में हैं या यात्रा करने वाले हैं, तो उनकी योजना प्रभावित हो सकती है। बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल इमरजेंसी और अन्य पारिवारिक कारणों से यात्रा आवश्यक होने पर अधिक योजना और समय की जरूरत होगी। अनिश्चितताओं के कारण व्यक्तिगत और पारिवारिक जीवन में मानसिक तनाव बढ़ सकता है।

कंपनियों का व्यवहार और कार्यशैली

भारतीय आईटी और अन्य कंपनियाँ अब अमेरिका भेजने के बजाय काम को भारत या अन्य देशों से रिमोटली प्रबंधित करने पर जोर देंगी। ऑनसाइट प्रोजेक्ट की जगह वीडियो कॉल, क्लाउड टूल और रिमोट सपोर्ट का इस्तेमाल बढ़ सकता है। कंपनियाँ कर्मचारियों की यात्रा को सीमित कर सकती हैं ताकि नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर अनावश्यक वित्तीय और लॉजिस्टिक दबाव न पड़े।

मानसिक और भविष्य की अनिश्चितता

हालाँकि मौजूदा धारकों पर शुल्क लागू नहीं होता, लेकिन भविष्य में नियम बदलने या नई नीतियों के आने का डर हमेशा बना रहेगा। इससे मानसिक तनाव बढ़ सकता है और करियर की लंबी योजना बनाने में कठिनाई हो सकती है। कर्मचारी अपने करियर और वीज़ा नवीनीकरण के लिए ज्यादा सतर्क और योजनाबद्ध होंगे।

दीर्घकालिक प्रभाव

अमेरिका में रहने वाले भारतीयों के लिए भविष्य की नौकरी की संभावनाएँ और प्रोजेक्ट अवसर अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होंगे। कंपनियाँ अमेरिका में नई नियुक्तियाँ कम कर सकती हैं और मौजूदा कर्मचारियों की भूमिकाओं को बदल सकती हैं। रिमोट वर्क और ऑटोमेशन के बढ़ते इस्तेमाल से कुछ पारंपरिक ऑनसाइट नौकरियाँ सीमित हो सकती हैं।