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“‘दुनिया के युद्ध खत्म करने में भारत की होगी अहम भूमिका’, UNGA के मंच से जॉर्जिया मेलोनी ने की भारत की खूब तारीफ; क्या-क्या कहा?”

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न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक जारी थी। इसी बीच, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने भारत का नाम लेकर कहा कि मौजूदा भू-राजनीतिक तनाव में भारत एक बड़ी भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा कि भारत के पास वह संतुलन है, जो इस समय दुनिया को चाहिए। उधर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का लहजा कुछ और ही था। उन्होंने सीधे कहा कि चीन और भारत रूस से तेल खरीदकर इस युद्ध को सहारा दे रहे हैं। ट्रंप यहीं नहीं रुके। यूरोप के देशों को भी उन्होंने घेरा और सवाल किया कि जब वे खुद रूस से खरीदारी कर रहे हैं, तो अमेरिका से क्यों उम्मीद करते हैं कि वह दूसरों को रोके।

इन तीखी टिप्पणियों के बीच एक तथ्य साफ है कि लगभग हर बड़ा यूरोपीय देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लगातार संपर्क बना रहा है। फ्रांस से लेकर जर्मनी और ब्रिटेन तक, सभी नेताओं का एक ही तर्क है कि नई दिल्ली चाहे तो युद्ध रोकने की दिशा में रास्ता निकल सकता है। ट्रंप ने भी हाल ही में मोदी से हुई बातचीत के बाद सोशल मीडिया पर लिखा था कि भारत की कोशिशें काम आ रही हैं।

वार्ता ही समाधान है भारत की नीति पहले दिन से साफ रही है कि वार्ता ही समाधान है। यही कारण है कि मोदी एक तरफ पुतिन से सीधे संवाद रखते हैं, तो दूसरी ओर जेलेंस्की से भी चर्चा करते रहते हैं। किसी पक्ष की तरफदारी नहीं, बल्कि शांति की पैरवी। शायद यही वजह है कि आज जब बड़े-बड़े देश विभाजित दिखाई दे रहे हैं, तो उम्मीद की निगाहें भारत की ओर मुड़ रही हैं।

रूस के खिलाफ डोनाल्ड ट्रंप ने दिया फ्री हैंड अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस, नाटो और यूरोप की नीतियों पर तीखा हमला बोला है। संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान दिए गए भाषण और उसके बाद यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात में उन्होंने कई विवादित बयान दिए।

जेलेंस्की के साथ बैठक के दौरान ट्रंप से पूछा गया कि अगर रूसी युद्धक विमान नाटो देशों की हवाई सीमा का उल्लंघन करता है तो अमेरिका क्या भूमिका निभाएगा। इस पर उन्होंने कहा कि ऐसे विमानों को तुरंत मार गिराना चाहिए। हालांकि, जब सवाल किया गया कि क्या वॉशिंगटन हर हाल में नाटो का समर्थन करेगा, तो ट्रंप का जवाब था- “यह परिस्थितियों पर निर्भर करेगा।”

ट्रंप ने दावा किया कि उन्हें उम्मीद थी कि रूस-यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म हो जाएगा। उनके शब्दों में, यह संघर्ष “बस एक छोटी-सी झड़प” होना चाहिए था, लेकिन यह लंबा खिंच गया, जिससे रूस की छवि भी प्रभावित हुई।