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75 साल की है सीमा… D. Raja 76 की उम्र में फिर बने CPI के महासचिव, उम्र पर विवाद के बीच पार्टी ने दिखाया भरोसा

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कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (CPI) ने अपने 25वें कांग्रेस अधिवेशन के दौरान एक अहम फैसला लिया है. पार्टी ने डी. राजा को फिर से अपना राष्ट्रीय महासचिव चुना है. हालांकि, इस फैसले पर पार्टी की केरल यूनिट ने आपत्ति जताई थी, क्योंकि पार्टी में 75 साल की उम्र सीमा का नियम है और डी. राजा इस साल 76 साल के हो चुके हैं. इसके बावजूद, पार्टी की नेशनल काउंसिल ने निरंतरता बनाए रखने के लिए उन्हें पद पर बनाए रखने का निर्णय लिया है.
डी. राजा का राजनीतिक सफर
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, डी. राजा साल 2019 में महासचिव बने थे, जब पूर्व महासचिव एस. सुधाकर रेड्डी ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया था. इसके बाद 2022 में विजयवाड़ा में हुए कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें फिर से चुना गया था. बता दें कि डी. राजा पहले दलित नेता हैं, जिन्होंने किसी वामपंथी पार्टी की सर्वोच्च कमान संभाली है.

यह फैसला CPI(M) यानी मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के रुख से बिल्कुल अलग है. CPI(M) ने 75 साल की उम्र सीमा को सख्ती से लागू किया है. इसी वजह से मदुरै में इस साल हुए सम्मेलन में कई बड़े नेताओं जैसे प्रकाश करात, बृंदा करात, माणिक सरकार और सुरज्या कांता मिश्र को पॉलित ब्यूरो से हटना पड़ा. हालांकि, एक अपवाद के तौर पर केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (79 वर्ष) को पद पर बनाए रखा गया.
अन्य दावेदार और महिला नेतृत्व की संभावना
डी. राजा के अलावा, इस पद के लिए CPI केरल राज्य सचिव बिनॉय विश्वम और AITUC (CPI का ट्रेड यूनियन संगठन) की महासचिव अमरजीत कौर भी दावेदार थीं. अगर अमरजीत कौर चुनी जातीं तो वह भारत में किसी वामपंथी पार्टी की पहली महिला प्रमुख होतीं.
नई टीम और प्रस्ताव
पार्टी ने अधिवेशन के दौरान संगठनात्मक ढांचे को नया रूप देते हुए 11 सदस्यीय राष्ट्रीय सचिवालय और 31 सदस्यीय कार्यकारी समिति की घोषणा की है. इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव भी पारित किए गए हैं. इनमें प्रमुख रूप से पाकिस्तान के साथ अटारी-वाघा और अन्य सीमा मार्गों से व्यापार को बहाल करने की मांग शामिल रही. इसके अलावा, पार्टी ने उन सभी कैदियों की रिहाई की भी मांग की, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है. ये प्रस्ताव पार्टी की सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर सक्रियता और जनता से जुड़े सवालों को प्राथमिकता देने की दिशा को दर्शाते हैं.
BJP-RSS के खिलाफ मोर्चा
CPI ने अपने राजनीतिक प्रस्ताव में साफ किया कि वह भाजपा और RSS के खिलाफ वैचारिक और सैद्धांतिक संघर्ष को और तेज करेगी. पार्टी ने कहा कि आने वाले बिहार, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों में वामपंथी, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरा प्रयास करेगी. वहीं केरल में वाम मोर्चे की जीत सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगी.
बेरोजगारी और शिक्षा पर चिंता
अधिवेशन में पार्टी ने बढ़ती बेरोजगारी और शिक्षा क्षेत्र में गिरावट पर गहरी चिंता जताई है. CPI ने कहा कि देश में बढ़ते केंद्रीकरण और अधिनायकवादी प्रवृत्तियों के खिलाफ वाम और लोकतांत्रिक ताकतों की एकता बेहद जरूरी है.

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