शराब पर क्यों नहीं लगता GST, आखिर इसके पीछे क्या है वजह?
सरकार ने हाल ही में GST 2.0 सुधारों के तहत जीएसटी दरों में बदलाव किया है जो 22 सितंबर से लागू हो जाएंगे. GST रिफॉर्म के तहत सरकार ने सिगरेट जैसे तंबाकू उत्पादों पर भारी टैक्स लगाया है,
बता दें कि अब सिगरेट, गुटखा, पान मसाला और दूसरे तंबाकू से जुड़े उत्पादों पर GST का स्लैब बढ़ाकर 40% कर दिया है.
इससे पहले सिगरेट पर 28% GST लगता था. जबकि शराब पर GST बिल्कुल नहीं लगता. ऐसे में सवाल उठता है कि ये अंतर क्यों है और इसके पीछे क्या नियम काम करते हैं?
शराब पर GST क्यों नहीं लगता? शराब की बात करें तो यह GST के दायरे से पूरी तरह बाहर है. इसका मतलब ये है कि शराब पर GST नहीं लगता. इसे GST कानून से अलग रखा गया है. हर राज्य की अपनी अलग एक्साइज ड्यूटी और टैक्स व्यवस्था होती है जो शराब पर लागू होती है. इसका एक कारण ये भी है कि शराब पर टैक्स लगाने और उसके कलेक्शन का अधिकार राज्य सरकारों के पास होता है. अगर GST लागू होता तो राज्य सरकारों की टैक्स आय पर असर पड़ता, इसलिए इसे बाहर रखा गया है.
पेट्रोलियम उत्पाद भी GST से बाहर शराब के अलावा कुछ पेट्रोलियम उत्पाद जैसे पेट्रोल, डीजल, क्रूड ऑयल, प्राकृतिक गैस और विमानन ईंधन भी फिलहाल GST के बाहर हैं. इन उत्पादों पर भी अभी वैट और अन्य कर लागू होते हैं. पेट्रोल और डीजल पर केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारें वैट लगाती हैं, जिससे इन दोनों को बड़ा राजस्व प्राप्त होता है. यदि इन ईंधनों को GST के दायरे में लाया गया, तो कर दरें कम होने से सरकारों की आमदनी में भारी कमी हो सकती है. राज्य सरकारें अपने टैक्स स्ट्रक्चर पर नियंत्रण रखती हैं और पेट्रोल-डीजल पर वैट लगाकर न सिर्फ कीमतों को प्रभावित करती हैं, बल्कि बड़ा राजस्व भी कमाती हैं.
क्या इसका मतलब ये है कि शराब पर टैक्स कम है? नहीं, इसका मतलब ये नहीं है कि शराब पर टैक्स कम है. वास्तव में, कई राज्यों में शराब पर भारी एक्साइज ड्यूटी लगती है जो सरकार की आमदनी का बड़ा हिस्सा है. बस फर्क इतना है कि ये टैक्स GST के बजाय राज्य सरकार के पुराने नियमों के तहत लगाया जाता है.